सड़क व पुल न होने के कारण ग्रामीण प्रसूता महिला को ऐसे ले जाते अस्‍पताल, देखें वीडियो

Amit Sengar
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बैतूल,डेस्क रिपोर्ट। ग्रामीण इलाके आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के बैतूल (betul) जिले के आमला क्षेत्र में कलमेश्वरा ग्राम पंचायत का बोदुड़ रैय्यत गांव का है, जहां कच्ची सड़क और नाले पर पुल ना होने से ग्रामीण एक प्रसूता को हालत बिगड़ने पर लकड़ी और कपड़े से बनाई झोली में टांगकर तीन किलोमीटर दूरी तय कर मुख्य सड़क तक ले गए। जिसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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मिली जानकारी के अनुसार, आमला क्षेत्र में कलमेश्वरा ग्राम पंचायत का बोदुड़ रैय्यत गांव तक पहुंचने वाली सड़क कच्ची है और दो बड़े नाले जो बाढ़ आने पर मार्ग को रोक देते हैं। इस वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। अगर गांव में किसी के बीमार हो जाने पर अक्सर उसे कंधों पर मुख्य सडक़ तक लाना पड़ता है।

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बता दें कि गांव की एक महिला का 14 अगस्त की रात घर में प्रसव हो गया था। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। तेज वर्षा जारी रहने से परिजन उसे अस्पताल नही ले जा पाए। 16 अगस्त को वर्षा थम जाने पर ग्रामीणों ने प्रसूता को लकड़ी और कपड़े से बनाई गई झोली में टांग लिया और पैदल कच्ची सड़क से होकर नाले पार कर मुख्य सड़क तक लेकर आए। वहां से निजी वाहन से उसे आमला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया।

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आमला के बीएमओ ने बताया कि प्रसूता को भर्ती कर प्राथमिक उपचार दिया गया था। मगर महिला के अत्यधिक रक्त स्राव होने से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन परिजन उसे नागपुर के किसी अस्पताल में ले गए। ग्रामीणों ने बताया कि पक्की सडक़ और नाले पर पुल नहीं होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बहुत प्रयास के बाद सुदूर सडक़ स्वीकृत हुई थी जो वर्षा के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है। मुख्य सडक़ तक जाने वाले रास्ते में दो नाले पड़ते हैं जिन पर पुल नहीं होने से बारिश में वाहनों का आवागमन बंद हो जाता है। वर्तमान में नालों के दोनो किनारों पर मिट्टी का कटाव अधिक हो जाने से पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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