पुलिस का दिखा मानवीय चेहरा ,घंटो पड़ी लाश को उठाने टीआई और सैनिक ने पहनी पीपीई किट

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। जिला पुलिस का मानवीय चेहरा देखने को मिला । घंटो से पड़ी लावारिस लाश को उठाने जब स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई तो खुद पुलिस ने पीपीई किट पहन कर लाश उठा कर अस्पताल के मरचुरी में पहुचाई और वहां खुद लाश उतारकर फ्रीजर में रखी । बैतूल शहर के गंज इलाके में एक अज्ञात व्यक्ति की लाश पड़ी थी, जिसे देखकर यहां दुकानदारों और यहां से गुजरने वाले लोगों में दहशत थी कि मृत व्यक्ति को कोरोना संक्रमण न हो करीब डेढ़ घण्टे यहां लाश पड़ी रही लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां नहीं पहुंची किसी ने भी लाश को उठाकर अस्पताल पहुंचाने की हिम्मत नहीे जुटाई ।

इसी बीच कोतवाली पुलिस और गंज पुलिस यहां पहुंची और कोतवाली टीआई अनिल कुमार पुरोहित और होमगार्ड सैनिक अमित मौर्य ने हिम्मत दिखाई, इन दोनों ने पीपीई किट पहनी और सबसे पहले लाश को प्लास्टिक में लपेटा उसके बाद एक ऑटो में शव को रखकर जिला अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए ले गए|

बताया जा रहा है कि मृतक भैसदेही का रहने वाला है लेकिन वह मानसिक विक्षिप्त भी है और शराबी था। दिन भर शराब पीकर पूरे बाजार में घूमते रहता था । आज उसकी लाश गंज चौक पर पड़ी मिली । मृतक का कोरोना सेम्पल होगा और अगर वो निगेटिव निकलेगा तो पोस्टमार्टम किया जाएगा कि उसकी मौत कैसे हुई ।

कोतवाली टीआई अनिल पुरोहित का कहना है कि बॉडी का पता नहीं कि कौन मरा और कैसे मरा।  दिन में डेड बॉडी मिल रही है तो परिस्थितियां अनुकूल नहीं लगती है।  यहां कोरोना पॉजिटिव मामले बहुत ज्यादा है। जब सूचना मिली तो मैं और गंज टीआई ट्रैफिक इंचार्ज सहित स्टाफ पहुंचा और जो भी आवश्यक सावधानी है थी वो पूरी करके पीपीई किट पहनकर लाश उठाई और स्वास्थ्य विभाग को कंट्रोल रूम और ट्रैफिक पुलिस ने सूचना दी गई।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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