भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शहर के जेपी अस्पताल में मरीजों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ्य विभाग ने करीब दस साल पहले 24 लाख रूपये खर्च करके दो फेको मशीन खरीदी थीं। लेकिन इन मशीनों का उपयोग नहीं हो रहा है, जबकि जेपी अस्पताल में चार आई सर्जन पदस्थ हैं। इस लापरवाही पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल एवं सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल भोपाल से पंद्रह दिन में जवाब मांगा है।
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दरअसल फेको तकनीक में मशीन से मोतियाबिंद की सर्जरी बिना चीरफाड़ लेजर के माध्यम से की जाती है। इसमें न सिर्फ समय कम लगता है, बल्कि सर्जरी भी बेहतर होती है। लेकिन जेपी अस्पताल के आई सर्जनों की मनमानी आलम यह है कि वे इन मशीनों को उपयोग ही नहीं करते हैं। यही वजह है कि जेपी अस्पताल में दिनभर में दो से तीन मरीजों की ही सर्जरी होती है, जबकि रोज दस-बारह मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। बीते दिनों एक नए आई सर्जन ने फेको तकनीक से मरीजों का इलाज करने के लिये अस्पताल प्रबंधन से बात भी की थी, पर किसी ने भी उसे गंभीरता से नहीं लिया। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल एवं सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल भोपाल से पंद्रह दिन में जवाब मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से कहा है कि आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित कर 15 दिन में जवाब दें, साथ ही यह भी बतायें कि बीते दस वर्षों से उपलब्ध ऐसी मशीनों की सुविधा मरीजों को उपलब्ध क्यों नहीं करायी जा सकी ?