भोपाल: सड़कों पर बने दो फिट गहरे गड्डे, घरों में घुस रहा सीवेज का पानी, अधिकारी नहीं उठाते फोन, जानें पूरा मामला

भोपाल, रवि नाथानी। राजधानी भोपाल (Bhopal) में मानसून सक्रिय होते ही भोपाल के व्यापारिक नगर बैरागढ़ का हाल बेहाल हो चुका है। इस सडक़ से हजारों छोटे-छोटे बच्चे और गल्र्स कालेज की छात्राएं आना-जाना करते है, लेकिन बावजूद इसके सडक़ पर दो फिट गहरे गड्डे हो गए है और इनमें पानी भर जाने से महिला वाहन चालक गिर रही है। इसके बाद भी निगम का अमला इधर कोई ध्यान नहीं देता। दूसरी तरफ झमाझम बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। भोपाल में कभी तेज तो कभी रिमझिम हो रही बारिश ने नगर निगम की पोल खोल दी है।

यह भी पढ़े… MP Urban Body Election 2022 : अंतिम चरण में 49 लाख से ज्यादा मतदाता करेंगे मतदान, 17 हजार पुलिस फोर्स रहेगा तैनात

बारिश ने शुरूआती दिनों में ही आफत मचा दी है। बारिश से संतनगर जोन बेहाल हो गया है। जोन के अंतर्गत आने वाले 5 वार्डो में बारिश का कहर देखा जा सकता है। गांधीनगर, सीटीओ, भौंरी या फिर संतनगर के दो वार्डो की बात करें तो सभी पानी-पानी हो गए हैं। आसमान से हो रही तेज बारिश के बाद संतनगर जलमग्न हो रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे बाढ़ की स्थिति आ गई हो। सडक़ों से लेकर इस बार गलियों में भी घुटनो तक पानी भर चुका है और मकानों से लेकर दुकानों में पानी भरने से नुकसान हो रहा है। बारिश में हर साल संतनगर में जलभराव की स्थिति बनती है, फिर भी नगर निगम कोई कदम नहीं उठाता। नाले नालियों की सफाई में खानापूर्ति की जा रही है। साल दर साल बारिश का मौसम शुरू होते ही स्थिति बिगड़ रही है फिर भी ना तो नेता ध्यान दे रहे है ना ही अफसरो को कोई चिंता है और भुगतना जनता को करना पड़ रहा है


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है। अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"