उपचुनाव : अगले हफ्ते जारी हो सकती है कांग्रेस प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट, चर्चा में इनके नाम

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एमपी में 28 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होना है, हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान नही किया है, लेकिन माना जा रहा है सितंबर के आखिरी या अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लागू की जा सकती है, ऐसे में राजनैतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी है। भाजपा (BJP) ने अभी उम्मीदवारों के नाम को लेकर पत्ते नही खोले है, लेकिन कांग्रेस ने 28 में से 15 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, वही अगले हफ्ते में दूसरी लिस्ट भी जारी होने की संभावना जताई जा रही है।

इसके लिए आज-कल में पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ(Kamalnath) दिल्ली भी जा सकते है।दिल्ली में कमलनाथ पार्टी नेताओं से मुलाकात कर दूसरी सूची को फाइनल कर सकते है। पार्टी सूत्रों की मानें तो रविवार को प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ दिल्ली जाकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं, ऐसे में 22 सितंबर तक 12 नामों की घोषणा किए जाने की संभावना है।अब पार्टी के सामने 12 बची हुई सीटों जौरा, सुमावली, मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, पोहरी, मुंगावली, सुरखी, बदनावर, मांधाता, सुवासरा और बड़ा मलहरा पर प्रत्याशियों के नामों को तय करना है।

दूसरी लिस्ट में भी दलबदलुओ को मिल सकता है मौका, चर्चा में इनके नाम
पहले लिस्ट की तरह दूसरी में भी दल बदलुओ को टिकट देने की अटकलें तेज है। माना जा रहा है कि कांग्रेस दूसरी लिस्ट में भाजपा छोडकर कांग्रेस में शामिल हुए सतीश सिकरवार और पारुल साहू को मौका दे सकती है,पहली लिस्ट में प्रेमचंद गुड्डू, केएल अग्रवाल और बसपा के कई नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया है, ऐसे में बगावत के सूर फूटने की पूरी संभावना है।चुंकी कांग्रेस पार्टी की पहली सूची के विरोध होने के बाद दूसरी सूची को लेकर दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई हैं।हालांकि इस बार कांग्रेस कोई रिस्क नही लेना चाहती ,इसलिए सर्वे के आधार पर टिकिट बांट रही है,कांग्रेस द्वारा नामों को तय करने के लिए पार्टी के स्थानीय नेताओं के फीडबैक लेने से लेकर मैदानी स्तर पर सर्वे भी कराए गए है, ऐसे में जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट मिलना तय माना जा रहा है। हालांकि ग्वालियर पूर्व सीट को लेकर खींचतान भी जारी है। यहां मुख्य रूप से सतीश सिकरवार(Satish sikarwar), राकेश चौहान(Rakesh chauhan), और ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya scindia) के समर्थक रहे देवेंद्र शर्मा की दावेदारी बताई जा रही है। दूसरी तरफ चर्चा ये भी तेज है कि कांग्रेस जो दूसरी सूची लाएगी, उसमें भी बाहरी नेताओं को मौका दिया जाएगा। इनमें सुमावली से बहुजन समाज पार्टी से आए अजय सिंह कुशवाह या बलवीर सिंह डंडौतिया में से किसी एक को टिकट मिल सकता है।वही शुक्रवार को पार्टी में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व विधायक पारुल साहू (Parul Sahu) को भी सुरखी से टिकट मिलना तय माना जा रहा है।वही मांधाता विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) और उनके धुर विरोधी राजनारायण पुरनी के नाम चर्चा में हैं। बदनावर में धार के गौतम या बुंदेला के परिवारों के साथ स्थानीय व्यक्ति की मांग पर आशीषष धाकड़ और ध्रुवनारायण सिंह के नाम चर्चा में हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस जो दूसरी सूची लाएगी उसमें भी बाहरी नेताओं को मौका दिया जाएगा।

पहले लिस्ट के जारी होने का बाद बगावत के सुर तेज
कांग्रेस द्वारा पहले लिस्ट जारी करते ही विरोध शुरु हो गया है। स्थानीय नेता और मजबूत दावेदारों को नजरअंदाज कर दलबदलुओ को टिकट देने का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। 15 घोषित प्रत्याशियों में से गोहद से मेवाराम जाटव, सांची सीट पर मदन लाल चौधरी ,ग्वालियर से सुनील शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर कांग्रेसी कार्यकर्ता नाराज हैं। डबरा से सुरेश राजे को उम्मीदवार बनाने पर सत्य प्रकाश परसेडिया ने मोर्चा खोल दिया है। वही भांडेर से फूल सिंह बरैया को टिकट देने पर पूर्व मंत्री महेन्द्र बौद्ध नाराज हो गए है औऱ उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आगामी दिनों में दूसरी लिस्ट के जारी होने के बाद भी अतंर्कलह और अंसतोष के साथ बगावती तेवर देखने को मिल सकते है।

गौरतलब है कि एमपी की 28 सीटों पर उपचुनाव होना है। 25 सीटे सिंधिया समर्थकों और पूर्व विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई है।वही तीन सीटे विधायकों के निधन के बाद खाली हुई है।इस बार का चुनाव दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्व माना जा रहा है, जहां भाजपा के लिए सरकार बचाना चुनौती है वही कांग्रेस के लिए कमबैक करना। वर्तमान में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है, BJP को पूर्ण बहुमत के लिए जहां 9 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करनी है, वहीं कांग्रेस को सभी 28 स्थानों पर जीत हासिल करनी होगी, तभी उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो पाएगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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