पलायन कर आए मजदूरों के बच्चों को मिलेगा पोषण लाभ, महिला बाल विकास विभाग की पहल

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते जब काम बंद किया गया, तो हजारों की संख्या में मजदूरों ने पलायन किया। ये ऐसे मजदूर थे, जो काम के सिलसिले में अपने स्थानीय गांव, प्रदेश से दूर जाकर किसी दूसरे शहर और प्रदेश में काम कर रहे थे, लॉकडाउन के कारण काम न मिलने के चलते ये सब वापस अपने गांव की और लौट आए।

पलायन कर रहे मजदूरों में हर उम्र का व्यक्ति शामिल था। क्या बच्चें, क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, सभी रोजगार ना मिलने के कारण अपने-अपने गांव लौटने पर मजबूर हो गए। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले इन मजदूर परिवार के सदस्यों का कोई भी रजिस्ट्रेशन कहीं भी उपलब्ध नहीं है। मध्यप्रदेश में भी दूसरे प्रदेशों से सैकड़ों की संख्या में मजदूर अपने-अपने गांव की ओर लौटे, जिनमें गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। चूंकि ये सभी मध्य प्रदेश के नागरिक हैं, इसलिए यहां की योजनाओं का लाभ लेने की पात्रता भी रखते हैं। लेकिन एकीकृत आंकड़े ना होने के कारण ये प्रदेश की योजनाओं से वंचित रहे हैं। इनमें खासतौर पर छोटे बच्चे शामिल हैं। अब जब मध्यप्रदेश में छोटे बच्चों के लिए पोषण माह चलाया जा रहा है तो ये सवाल उठता है कि जो बच्चे पलायन करके प्रदेश में आए हैं, उन्हें इस महीने के दौरान चलाए जा रहे अभियान का फायदा कैसे दिया जाएगा।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।