भोपाल, हरप्रीत कौर रीन। छतरपुर के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जमकर फटकार लगाई है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह अविवादित प्रकरणों का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं और इस प्रवृत्ति को जल्द सुधारना चाहिए।
10 नवम्बर का वाकया याद कीजिए। रात में कलेक्टर के बंगले के बाहर धरना दिए बैठे एक विधायक जी.. लोगों को लगा होगा कि शायद यह विधायक कांग्रेस के हैं लेकिन नहीं, वे तो सत्ताधारी पार्टी के विधायक थे जो छतरपुर जिले की चांदला विधानसभा सीट से विधायक राजेश प्रजापति हैं। कलेक्टर के बंगले के बाहर धरना देकर बैठे विधायक जी की पीड़ा यह थी कि कलेक्टर उनका फोन नहीं उठा रहे थे और जब उन्होंने मिलने का समय मांगा तो बताया गया कि कलेक्टर साहब बंगले पर नहीं है जबकि कलेक्टर बंगले में ही मौजूद थे।
भोपाल से फटकार लगने के बाद कलेक्टर साहब बाहर आए और विधायक को खड़े-खड़े ही टरका दिया। लेकिन अब हम बताते हैं कि विधायक जी क्यों आए थे। विधायक का कहना था कि उनके क्षेत्र के कई नामांतरण लंबित हैं और सरकार के द्वारा कहने के बाद भी कलेक्टर काम नहीं कर रहे हैं। विधायक जी ने यह भी कहा था कि वे दलित हैं इसीलिए उनकी उपेक्षा की जा रही है। इसके बाद विधायक ने यहां तक कहा था कि छतरपुर के कलेक्टर उनकी हत्या करा सकते हैं। विधायक जी की पीङा सही थी।
सोमवार को मुख्यमंत्री ने कलेक्टर कमिश्नर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान छतरपुर के कलेक्टर को अविवादित नामांतरण में कमजोर निराकरण के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि आपका अविवादित प्रकरणों का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही दतिया के कलेक्टर को भी इसी मामले में सीएम की नाराजगी का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि “मैं सभी कलेक्टरों को चेता रहा हूं और अविवादित नामांतरण के केस लंबित नहीं रहने चाहिए। एक्ट के हिसाब से तो यह एक महीने में हो जाने चाहिए। फिर क्यों लंबित हैं ? सीएम ने यह भी कहा कि यह व्यथित करने वाली बात है कि अविवादित प्रकरण लंबित हैं। मैं फिर से कह रहा हूं, इसे गंभीरता से लें।”