डेस्क रिपोर्ट। हमारे देश में बिना किसी तैयारी के लगाए गए पहले लॉकडाऊन ने अभिनेता सोनू सूद की जिंदगी को एक नया अर्थ दिया । हुआ यूँ कि करीब 10 मज़दूरों की एक टोली जिसमें औरतें और बच्चे भी थे, उन्होंने मुंबई से बैंगलोर पैदल जाते वक्त सोनू सूद से 10 दिन के खाने की मॉंग की । और यहीं से मज़दूरों को उनके गॉंव और शहर भेजने का सिलसिला शुरू हुआ जो लगभग सात लाख पचास हजार लोगों को अपने गंतव्य तक भेजने में कामयाब रहा । और इसी करूणा ने अभिनेता सोनू सूद को एक नई पहचान भी दी, व सार्थकता के अनुपम आनंद से अवगत भी कराया ।
क्या आप जानते हैं ? सन 2008 के 26/11 मुंबई अटैक के बाद टाटा ग्रुप के सर्वेसर्वा रतन टाटा जी ने अपनी ताज होटल में मारे गए सभी कर्मचारियों के घर जाकर व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की । अपने कर्मचारियों के अनाथ हुए बच्चों की सम्पूर्ण शिक्षा के साथ-साथ उचित मुआवजा व कुछ को रोजगार भी दिया ।परन्तु उल्लेखनीय बात यह है कि ताज होटल के आसपास मारे गए रेहड़ीवालों, फुटपाथ के लोगों तक के लिए जो भी बन सका वह किया । ऐसा कौन बिजनेसमैन करता है कि अपने आसपास रहने वाले फुटपाथियों तक का ख़्याल रख सकें ।
बस यह जो करूणा है आपके मन में वही आपको एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है । जब आप किसी भी जरूरतमंद की मदद के लिए बिना किसी को बताए-जताए कुछ करतें हैं वही पल बड़ा खूबसूरत बन जाता है ।
करूणा – ह्रदय का सबसे पवित्रतम भाव है, जिसमें आदमी दूसरे के दुख से दुखी होकर, अपने सुख में से उस दुखी व्यक्ति को सुख प्रदान करता है । यह जो भाव है वही हमें जरूरतमंद की सेवा के लिए तत्पर करता है । करूणा के इसी भाव की वजह से हमें किसी भी कारण की आवश्यकता नहीं होती अपितु हम अपना कर्तव्य मानकर सेवा में तत्पर बने रहतें हैं ।इसलिए उठिए और मन के सबसे पवित्रतम भाव करूणा को जाग्रत कर,आपसे जो भी सहजता से बन सके वह सेवा अवश्य कीजिए ।