“कर्मवीर पदक” पर कांग्रेस ने की सरकार की तारीफ, कोरोना योद्धाओं के लिए की ये बड़ी मांग

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना की पहली और दूसरी लहर (corona second, third wave) में अपनी जान जोखिम में डालकर दिन रात ड्यूटी कर कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों को मध्यप्रदेश सरकार (mp government) “कर्मवीर योद्धा पदक”  से सम्मानित कर रही है।  सरकार ने मध्यप्रदेश पुलिस और होमगार्ड (mp police ,home guard) के 39 हजार पुलिस अधिकारियों कर्मचरियों को कर्मवीर योद्धा पदक (karmaveer warrior medal) देने की घोषणा की कांग्रेस (congress) ने तारीफ की है लेकिन सरकार से सवाल किया कि जिन 156 पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों ने कोरोना में अपनी जान गंवाई  घोषित की गई राशि उन्हने कब तक मिलेगी।

प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने कोरोना की पहली व दूसरी लहर में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले प्रदेश के 39 हजार पुलिसकर्मियों को “कर्मवीर योद्धा पदक” (karmaveer warrior medal)  से अलंकृत किये जाने को अनुकरणीय बताते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी है। लेकिन मिश्रा ने कहा कि इस विषम महामारी की दोनों लहर में हमें यह भी स्मरण करना होगा कि इस दौर में बहादुरी के साथ अपने कर्तव्यों का ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करने वाले 156 पुलिस अधिकारियों कर्मचरियों ने अपनी जान भी गंवाई है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना में जान गंवाने वाले पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों में से गृह मंत्रालय ने सिर्फ 6 को ही कोरोना यौद्धा माना है और आज 17 माह बीत जाने के बाद भी 112 विचाराधीन हैं और 38 प्रकरण अस्वीकृत हो गए हैं,ऐसा क्यों? जब मृत्यु कोरोनकाल में अपनी कर्तव्य परायणता का निर्वहन करते हुए ही हुई हैं तो सरकारी अड़ंगेबाजी क्यों? शायद इसलिए कि सरकार के पास पैसा नहीं है? यदि ऐसा ही था तो बढ़चढ़ कर घोषणाएं क्यों की गई? आज कई परिवार अनुकम्पा नियुक्ति तक नहीं होने के कारण तंगहाली जीवन जीने को मजबूर हैं।

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कांगेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि वे अपनी पूर्व घोषणाओं के अनुरूप दिवंगत यौद्धाओं के परिजनों को 50 लाख अनुग्रह राशि व अनुकम्पा नियुक्ति भी तत्काल दिलवाएं, इस बाबत यदि शासकीय नियमों को शिथिल भी करना हो तो करें ताकि भविष्य की संभावनाओं को दृष्टिगत रख इसतरह के योद्धाओं को आघात न पंहुचे।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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