एफ. पी. ए. इंडिया भोपाल शाखा का साइकोलाजिकल फर्स्ट एड पर आयोजित हुआ सत्र

बीएसएसएस कॉलेज और आईईएचई भोपाल के सहयोग से आयोजित इस सत्र का उ‌द्देश्य उन लोगों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना था जो किसी तरह के तनाव और परेशानी में हो और इस हेतु सहायता या मार्गदर्शन चाहते हो। 

Published on -

BHOPAL NEWS :  एफ. पी. ए. इंडिया भोपाल शाखा (एफपीएआई) एवं बीएसएसएस कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग और आईईएचई भोपाल के सहयोग से, साइकोलाजिकल फर्स्ट एड पर एक परिवर्तनात्मक सत्र आयोजित किया गया, जिसका उ‌द्देश्य उपस्थित व्यक्तियों को उन लोगों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना था जो किसी तरह के तनाव और परेशानी में हो और इस हेतु सहायता या मार्गदर्शन चाहते हो।

एफ. पी. ए. इंडिया भोपाल शाखा का साइकोलाजिकल फर्स्ट एड पर आयोजित हुआ सत्र

विशेष मेहमान के रूप में डॉ रुचिरा चौधरी रही मौजूद  

इस सत्र में विशेष मेहमान के रूप में डॉ रुचिरा चौधरी, चेयरपर्सन एफ पी ए इंडिया भोपाल शाखा और बीएसएसएस कॉलेज के प्रिसिपल डॉ फादर जॉन पी. जे मनोविज्ञान विभाग के एचओडी डॉ विनय मिश्रा, आईईएचई के मनोविज्ञान विभाग की एचओडी डॉ अनुपम शुक्ला और साथ ही छात्र और और उपस्थित रहे। इस सत्र के विशेषज्ञ वक्ता के रूप में डॉ रीना राजपूत थी, जिनके पास सलाहकार परामर्श मनोवैज्ञानिक, प्रेरणात्मक प्रशिक्षक और मनोविज्ञान में अध्यापिका के रूप में वर्षों का अनुभव है।

एफ. पी. ए. इंडिया भोपाल शाखा का साइकोलाजिकल फर्स्ट एड पर आयोजित हुआ सत्र

समाज सेवा के माध्यम से समाज निर्माण

सत्र की शुरुआत से पहले, डॉ रुचिरा चौधरी, चेयरपर्सन एफ पी ए इंडिया भोपाल शाखा (एफपीएआई) ने, सभी प्रतिभागियों को एफपीएआई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी एवं युवाओ की भागीदारी के फायदे बताए उन्होंने जोर दिया कि छात्र एफ पी ए इंडिया भोपाल शाखा के साथ जुड़कर समाज सेवा के माध्यम से समाज निर्माण मे अपना योगदान से सकते हैं।

साइकोलाजिकल फर्स्ट एड

डॉ रीना राजपूत ‌द्वारा आयोजित सत्र ने तत्परता और सहानुभूति के महत्व को अच्छे ढंग से समझाया, डॉ रीना ने व्यक्तियों को पीड़ा से जूझ रहे लोगों के लिए सहायता का महत्व बताया। डॉ रीना ने साइकोलाजिकल फर्स्ट एड को केवल मनोवैज्ञानिकों के लिए नहीं, बल्कि इसे सभी के लिए एक कौशल के रूप में बताया, जिससे समुदाय को लाभ मिल सके।

दूसरों के प्रति दया का विस्तार

साक्षरता गतिविधियों का उपयोग करके, डॉ रीना ने साइकोलाजिकल फर्स्ट एड के प्रायोगिक तकनीकों को प्रदान किया, पत्रों के सक्रिय भागीदारी की गुणवता सुनिश्चित की। उन्होंने स्व-देखभाल की महत्वता पर जोर दिया, और समझाया कि दूसरों के प्रति दया का विस्तार व्यक्तिगत भलाई को कैसे बढ़ा सकता है। इस सत्र के बाद छात्र अब मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर सकेंगे।, जो समुदाय में सहानुभूति और कल्याण की सस्कृति को बढ़ावा देते हैं।


About Author

Sushma Bhardwaj

Other Latest News