भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले 1 अक्टूबर 2018 से अस्तित्व में आए प्रदेश के 52 वें जिले निवाड़ी में सुविधाओं का टोटा है। यहां न तो अफसरों के लिए रहने को आवास है और न ही कलेक्ट्रेट एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए भवन है। जिस वजह से कोई भी अधिकारी कलेक्टर बनने का इच्छुक नहीं है। हालांकि 8 महीने में निवाड़ी जिले में तीन कलेक्टर बदले जा चुके हैं।
शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से आनन-फानन में निवाड़ी को जिला गठित किया था। 1 अक्टूबर को तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान ने निवाड़ी में सभा के दौरान अक्षय सिंह को कलेक्टर एवं मुकेश श्रीवास्तव को एसपी पदस्थ किया था। चुनाव आयोग ने दो महीने पहले अक्षय सिंह को हटाकर शैलवाला मार्टिन को निवाड़ी कलेक्टर पदस्थ किया। पिछले हफ्ते मार्टिन को हटाकर फिर से अक्षय सिंह को कलेक्टर बनाया है।
कलेक्टर को नहीं मिलता वेतन
मजेदार बात यह है कि निवाड़ी कलेक्टर को वेतन देने के लिए कोई हेड नहीं है। जिले के पहले कलेक्टर अक्षय सिंह को जीएडी से वेतन मिला था। दूसरी कलेक्टर शैलवाला मार्टिन को भी दो महीने बाद वेतन मिला। हालांकि जीएडी सूत्रों ने बताया कि निवाड़ी में वेतन के लिए हेड बन गया है। इसी तरह निवाड़ी जिला मुख्यालय पर काम कर रहे कर्मचारियों को टीकमगढ़ से वेतन मिलता है। इन कर्मचारियों को अटैच किया गया है।
ओरछा में रहते हैं एसपी-कलेक्टर
निवाड़ी जिला मुख्यालय पर कलेक्टर एवं एसपी के लिए रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में दोनों प्रमुख अधिकारी ओरछा में सर्किट हाउस में रहते हैं। जबकि निवाड़ी मुख्यालय पर एडीएम और एएसपी रहते हैं। जिले का कलेक्टर कार्यालय मॉर्डन स्कूल की बिल्डिंग में संचालित हो रहा है, जबकि स्कूल अभी भी पुरानी जर्जर बिल्डिंग में है।