भोपाल। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष को कुछ अलग अंदाज में मनाने की कवायद राजधानी भोपाल में की जा रही है। इस दौरान युवा, बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों समेत सारे शहर को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए कुछ ऐसे खेलों को शामिल किया गया है, जो आमतौर पर विलुप्त होकर पहचान से बाहर होते जा रहे हैं। 5 नवम्बर से शुरू हुई इन खेल प्रतियोगिताओं में करीब 150 छोटे-बड़े खेलों को शामिल किया गया है। इनका समापन 26 जनवरी को समारोहपूर्वक किया जाएगा।
आरिफ अकील फैंस क्लब के पदाधिकारियों ने ये बात सोमवार को पत्रकारवार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर विलुप्त होते जा रहे खेलों को पुनः लोगों के बीच लाने की कवायद की जा रही है। इसका मकसद लोगों को स्वस्थ मनोरंजन देने के साथ पुरानी विरासत से रूबरू कराना भी है। क्लब के अब्दुल शफीक, एआर अंजुम, रवि वर्मा, नाजमा अंसारी, मनोज मालवीय ने बताया कि अब तक आयोजित की गईं प्रतियोगिताओं में शामिल विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया है। करीब 150 खेलों की श्रृंखला में प्रतियोगिताओं का अगला दौर 17 जनवरी से शुरू होगा। इसका समापन गणतंत्र दिवस के मौके पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक हो चुकी प्रतियोगिताओं में महिला हॉकी, महिला कबड्डी, खो-खो, महिला कुश्ती, वॉलीबॉल जैसे कई खेल शामिल किए गए हैं।
जिन्हें भूल चुके लोग
आरिफ अकील फैन्स क्लब द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं के दौरान कई ऐसे खेल शामिल किए गए हैं, जो अब परम्परा से बाहर होते नजर आ रहे हैं। इनमें चंग-अष्ट, लंगड़ी रेस, लट्टू घुमाना, पंजा कुश्ती, अंताक्षरी, मेहदी-रंगोली, लूडो, पतंगबाजी, गिल्ली-डंडा, चौपड़ आदि शामिल हैं।
फिर देखेंगे भोपाल की पहचान रहे तांगे
नवाबों के नगर भोपाल की पहचान रहे तांगे आधुनिक युग में रिवाज से बाहर हो गए हैं। शहर के बाशिंदों और खासकर नई पीढ़ी को इनसे रूबरू कराने के लिए 24 जनवरी को तांगा रेस का आयोजन किया जाएगा। क्लब के एआर अंजुम ने बताया कि सजे-धजे तांगों की रेस गौहर महल से कर्बला तक की जाएगी। शाम 4 बजे होने वाली इस रेस में शामिल होने के लिए दर्जनभर से ज़्यादा इंट्री अब तक आ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इसी दिन थ्री व्हीलर की रेस भी होगी।
रंगारंग कव्वाली से होगा समापन
आयोजकों ने बताया कि प्रतियोगिता के समापन दिवस पर सराय सिकन्दरी जुमेराती में कव्वाली की महफ़िल सजेगी। इस दौरान कई नामी कव्वाल पार्टियां हिस्सा लेंगी।