भोपाल। प्रशासक से राजनीति में आए जीएस डामोर सांसद रहेंगे या विधायक इसका फैसला आज शाम तक होना है। हालांकि डामोर की सांसद रहने की इच्छा है, लेकिन मप्र भाजपा में इस पर मंथन चल रहा है कि मप्र में विपक्ष में रहकर लोकसभा उपचुनाव जीत पाएंगे या फिर विधानसभा उपचुनाव में सीट बचा पाएंगे।
हालांकि चर्चा है कि झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचे जीएस डामोर दोनों में से कोई एक पद छोड़ सकते हैं। वे झाबुआ से विधायक हैं और हाल ही में लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट से सांसद बने हैं। पार्टी आलाकमान के निर्देश पर डामोर आज दोपहर 3 बजे तक एक पद से इस्तीफा देंगे। पार्टी आलाकमान का मानना है कि मध्यप्रदेश में भाजपा विधानसभा उपचुनाव का रिस्क नहीं ले सकती। यदि भाजपा उपचुनाव में हारती है तो यहां कांग्रेस और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
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गौरतलब है कि भाजपा ने झाबुआ से विधायक डामोर को रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को हराकर कांग्रेस की परम्परागत सीट पर कब्जा किया। फिलहाल सरकार बनने के बावजूद यहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर नहीं है।
यह है विधानसभा का गणित
भाजपा को केंद्र में सांसद से ज्यादा मप्र में विधायकों की जरूरत है। मप्र में भाजपा के पास सत्तापक्ष से 7 विधायक कम हैं। यदि डामौर विधायकी छोड़ते हैं तब भाजपा के 108 विधायक बचेंगे। कांग्रेस के पास 113 विधायक हैं। जबकि सरकार को निर्दलीय, सपा, बसपा समेत 120 विधायकों का समर्थन है। सत्र में शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी विधायक हो जाएंगे।