इस पुलिस अधिकारी पर 7.5 करोड़ रुपए लेने का आरोप, गृह विभाग ने ठुकराया प्रमोशन का अभ्यावेदन

Gaurav Sharma
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MP Police Promotion News : राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा की मुसीबतें बढ़ गई है। मंडला में उप सेनानी के पद पर कार्यरत अरुण कुमार मिश्रा द्वारा गृह विभाग को प्रमोशन के लिए दिया गया अभ्यावेदन विभाग ने निरस्त कर दिया है। मिश्रा पर 2019 में प्रतीक जोशी नाम के व्यक्ति से 7.5 करोड़ रुपए नगद लेने का आरोप है।

ये है पूरा मामला

मार्च 2019 में कमलनाथ समर्थकों पर छापे मारे गए थे और आयकर विभाग के छापों में भारी बेहिसाब नगदी होने का पता लगा था।सीटीबीटी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि 31 मार्च 2019 को राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा के यहां रुपए तीन बैगों में थे जो प्रतीक जोशी नामक व्यक्ति से लिए गए थे। सीटीबीटी की रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने अरुण कुमार मिश्रा की विभागीय जांच शुरू की थी। लेकिन अब मार्च 2023 में आईपीएस कैडर के लिए प्रमोशन होने हैं और मिश्रा ने इसी आधार पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि उनके यहां किसी भी तरह की ना तो कोई राशि बरामद हुई है और ना ही किसी तरह का कोई उल्लेख है। इस पर कोर्ट ने उनसे कहा था कि वह गृह विभाग को इसके लिए अभ्यावेदन दें। लेकिन गृह विभाग ने इस अभ्यावेदन को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि सीडीबीटी की रिपोर्ट में अरुण कुमार मिश्रा के पास 7.5 करोड़ रु मिलने के पर्याप्त प्रमाण है और इसके समर्थन में आयकर विभाग की सत्यापित प्रतिलिपि भी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।