27 लाख किसानों का कर्जा माफ किया तो सरकार गिरा दी, उपचुनाव में BJP को उखाड़ फेंके

Pooja Khodani
Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।कर्जमाफी को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने फिर बड़ा बयान दिया है। कमलनाथ का कहना है कि  किसानों की खुशहाली से ही बाजारों में रोशनी है , यह रोशनी बनी रहे , इसके लिए हमने किसानों का ऋण माफ कर 27 लाख किसानों को कर्ज मुक्त किया।किसानों की ऋण माफ़ी का कार्य जारी था लेकिन सौदा करकर , बोली लगाकर कांग्रेस की किसान हितैषी सरकार को गिरा दिया गया।

दरअसल, आज  कमलनाथ ने आज अपने निवास पर मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा कर रहे थे , तभी उन्होंने कहा कि  प्रदेश की 70% आबादी कृषि आधारित है। इसलिए जरूरी है कृषि क्षेत्र खुशहाल हो। हमारे सामने यह सबसे बड़ी चुनौती थी। मेरा सपना था कि कृषि क्षेत्र से पढ़ा-लिखा नौजवान जुड़े। हमने प्रयास किया कि किसानों की उपज दलालों के हाथों में ना जाए। उन्हें बेहतर दाम मिले , इसके लिए मैंने मुख्यमंत्री के तौर पर सभी जिला कलेक्टरों से व्यक्तिगत बातचीत कर उन्हें निर्देश दिए।  जो प्रदेश हमारे हाथों में भाजपा ने सौंपा था , उसमें किसानों की आत्महत्या में मध्यप्रदेश नंबर वन था , बेरोजगारी में नंबर वन था ,महिलाओं पर अत्याचार में नंबर वन था। प्रदेश की इस पहचान को बदलने के लिए हमने शुरुआत की। हर क्षेत्र में , चाहे मिलावट खोरी हो ,माफिया हो या नकली खाद बेचने वाले हो , इन सब के खिलाफ हमारी सरकार ने अभियान चलाया।
नाथ यही नही रुके आगे कहा कि भाजपा सरकार में हमारे प्रदेश में लोग निवेश नहीं करते थे क्योंकि हमारा प्रदेश भ्रष्टाचार में भी देश में शीर्ष पर था। इस माहौल को हमने 15 माह के कम समय में ही बदल दिया था। निवेशकों का विश्वास वापस लौटा था और वे निवेश करने के लिए उत्सुक हुए थे।। यह उप चुनाव मध्यप्रदेश के भविष्य का चुनाव है।किसानों का ,गरीबों का ,इस प्रदेश की जनता का भविष्य इन उपचुनावों से जुड़ा हुआ है। किसान कांग्रेस के सभी लोग अपने उत्साह ,जोश और निष्ठा से इन उपचुनावो में कांग्रेस प्रत्याशियों को विजय दिलाने में जुट जाये। प्रदेश के किसान भाइयों से आव्हान करे कि इन उपचुनावों में प्रदेश से इस किसान विरोधी भाजपा सरकार को उखाड़ फेंके।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News