भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ एक्शन मोड में नजर आ रहे है। लगातार अधिकारियों को सोच और तरीके बदलने की नसीहत दी जा रही है।एक बार फिर योजनाओं के क्रियान्वयन को और बेहतर बनाने को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों को कड़े निर्देश दिए है। कमलनाथ ने बैठक में साफ कर दिया की मध्यप्रदेश सरकार की तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन की बड़ी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत,जनपद पंचायत और जिला पंचायत की होती है। लिहाजा हर योजना को ईमानदारी के साथ जमीन पर उतारने का काम मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को करना है। सरकार मंत्रालय से नहीं, पंचायतों से चलती है। अच्छी योजनाओं का क्रियान्वयन भी अच्छा होना चाहिये, अन्यथा वे सफल नहीं होगी। सरकारी योजनाओं का सर्वे करवाए और उनमें सुधार करे, परिवर्तन लाए। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार जनता के बीच यह मैसेज देना चाहती है कि कांग्रेस के शासन काल में बड़ा परिवर्तन हुआ है, पुराने ढर्रे को बदला गया है, सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने अपने वादे पूरे किए है और योजनाओं पर काम कर रही है। इसी के चलते बार बार अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए जा रहे है।
दरअसल, मंगलवार को कमलनाथ ने प्रशासन अकादमी में जिला एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के साथ बैठक की।बैठक के दौरान नाथ ने मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से सुझाव मांगे और कहा कि बेहतर डिलेवरी सिस्टम नहीं होने की वजह से अच्छी योजनाएं भी फेल हो जाती हैं। सालों पुरानी कई योजनाएं अब भी चल रहीं हैं । डिलेवरी सिस्टम अपडेट नहीं होने की वजह से हितग्राहियों को फायदा नहीं मिल पा रहा है। नाथ ने कहा है कि सरकार मंत्रालय से नहीं, पंचायतों से चलती है। पंचायत व्यवस्था योजनाओं और कार्यक्रम के क्रियान्वयन की धुरी है। अच्छी योजनाओं का क्रियान्वयन भी अच्छा होना चाहिये, अन्यथा वे सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बनाने के लिये योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रक्रिया की समीक्षा की जायेगी।
सर्वे करवाए पुरानी योजनाओं में क्या परिवर्तन कर सकते है
नाथ ने कहा कि हमारे देश और प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था गाँव से जुड़ी है। इसलिये फोकस ग्रामीण क्षेत्र पर है। पंचायत राज इसकी धुरी है । सरकार की योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी जिला जनपद पंचायत के सीईओ और पंचायत सचिव की है। कई योजनाएँ ऐसी हैं, जो पन्द्रह से बीस साल पहले बनीं। उनका क्रियान्वयन आज वैसा ही नहीं हो सकता है। उसमें परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि वे इन योजनाओं के निर्माण से स्वत: जुड़े हैं। यूपीए सरकार में जब ये योजनाएँ बनी थीं, तब इसके क्रियान्वयन को लेकर कई सुधार करवाये थे। उन्होंने कहा कि समय बदला है, तो सरकार को यह भी बतायें कि क्रियान्वयन की प्रक्रिया में कौन से परिवर्तन करना है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ मिले।सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों की क्रियान्वयन व्यवस्थाओं की समीक्षा और सर्वे कराया जायेगा। पुरानी योजनाओं में क्या परिवर्तन कर सकते हैं, उनके जरिए और अधिक लोगों को कैसे लाभ पहुँचा सकते हैं, ये तथ्य सर्वे का आधार होंगे।
कर्ज माफी स्थाई समाधान नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारे देश का हो चाहे प्रदेश का, बजट का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण विकास पर खर्च होता है। ग्रामीण क्षेत्रों का प्रमुख व्यवसाय खेती-किसानी है। किसानों की क्रय शक्ति किस तरह बढ़ायें, इस पर भी हमें सोचना होगा। उन्होंने कहा कि कर्ज माफी स्थाई समाधान नहीं है, यह एक राहत है । इसके आगे यह सोचना होगा कि किसानों के अधिक उत्पादन का कैसे उपयोग करें, क्योंकि इससे ही उनकी आय को दोगुना कर सकते हैं, उनकी क्रय शक्ति को बढ़ा सकते हैं। किसानों की क्रय शक्ति से ही हमारी बहुत सी छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियाँ जुड़ी हैं, जो लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाती हैं। इस चुनौती को हम कैसे सफलता में बदलें, इसमें आप सभी को महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना है।