भोपाल।
पातालकोट को लीज पर दिए जाने के मामले में कमलनाथ सरकार ने गंभीरता दिखाई है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने लीज से जुड़े सारे दस्तावेज तलब कर लिए हैं।अब दस्तावेजों को जांच आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर इस मामले की कमलनाथ सरकार जांच करवाती है तो कई ब़ड़े अधिकारी इस मामले में फंस सकते है। वही पूर्व पर्यटन मंत्री और पर्यटन विकास निगम के तत्कालीन अध्यक्ष से जब इस बारे में बात कि गई तो उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पूर्व अध्यक्ष और मंत्री को भनक लगे बिना ही इसका सौदा हो गया। अगर ऐसा है तो इसके पीछे जिम्मेदार कौन।आखिर इसका सौदा किया किसने।एक अख़बार में छपी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि शिवराज सरकार में पर्यटकों के लिए ख़ास स्थलों में से एक छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट का ऊपरी गांव बीजाढाना दिल्ली की एक कंपनी को 20 साल के लिए 11 लाख में लीज पर दे दिया गया है। जिसके बाद से ही हड़कंप मच गया है।
ये है पूरा मामला
दरअसल, यह क्षेत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में आता है। पातालकोट के ऊपरी गांव बीजाढाना (रातेड़ पाइंट) की 7.216 हेक्टेयर भूमि 2009 में झमीलाल, इंदरशा, गोविंद, मंदर, गोरखशा, गोरखलाल और अन्य आदिवासियों के नाम थी। पहले तो सरकार ने पर्यटन विकास के लिए इसे अधिगृहीत कर उन्हें बेदखल कर दिया जबकी नियम के अनुसार इसका सीधा सौदा नही किया जा सकता। इसके बाद राज्य पर्यटन विकास निगम ने इस जमीन को विकसित कर सितंबर 2017 में इसे दिल्ली की फर्म यूरेका केम्पआउट्स प्राइवेट लिमिटेड को बीस साल के लिए 11 लाख में इसे लीज पर दे दिया। उससे एक लाख 10 हजार रुपए प्रति वर्ष लीज रेंट देने का करार किया गया। कंपनी को एडवेंचर्स क्षेत्र विकसित करने के लिए 18 माह का समय दिया है।जबकी पर्यटकों के लिए सड़क, बिजली, पानी, बाउंड्रीवॉल और प्लेटफार्म जैसी सुविधाएं पहले ही सरकार ने मुहैया करा करा रखी है।वही यह बात भी सामने आई है कि पर्यटन विकास निगम की तत्कालीन प्रबंध संचालक छबि भारद्वाज ने इस सौदे का प्रस्ताव दो बार लौटा दिया था, लेकिन पर्यटन सचिव हरिरंजन राव जमीन को दिल्ली की फर्म को लीज पर देने पर अड़े रहे। उनके दबाव में खुद छिंदवाड़ा कलेक्टर फर्म को जमीन सुपुर्द करने पातालकोट पहुंचे थे।
नो एंट्री का लगा दिया है बोर्ड
पातालकोट अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। इस पाइंट से पातालकोट की गहराईयों को आसानी से देखा जा सकता है। पहले हजारों की तादाद में यहां पर्यटक आते थे और पहाड़ीनुमा सड़क से ऊपर चढ़ इसकी गहराईयों को देखते थे, लेकिन अब यहां पर्यटकों और आदिवासियों के लिए इसे बंद कर दिया गया है।यहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है।यह मुख्यमंत्री कमलनाथ का संसदीय क्षेत्र कहलाता है।इस मामले में पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल का कहना है कि वे इस संबंध में मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा करेंगें। तामिया पर्यटन क्षेत्र में आम लोगों का प्रवेश और ग्रामीणों का रास्ता कैसे रोका गया है, इस बारे में भी अफसरों से जवाब-तलब किया जाएगा।
यह है पातालकोट की खासियत
छिंदवाड़ा जिले के तामिया ब्लॉक में स्थित पातालकोट मानो धरती के गर्भ में समाया है। तकरीबन 89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली यह एक घाटी है, जो सदियों तक बाहरी दुनिया के लिए अनजान और अछूती बनी रही। पातालकोट में 12 गांव समाये हुए हैं ये गांव हैं- गैलडुब्बा, कारेआम, रातेड़, घटलिंगा-गुढ़ीछत्री, घाना कोड़िया, चिमटीपुर, जड़-मांदल, घर्राकछार, खमारपुर, शेरपंचगेल, सुखाभंड-हरमुहुभंजलाम और मालती-डोमिनी। बाहरी दुनिया का यहां के लोगों से संपर्क हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है, इनमें से कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी पहुंचना बहुत मुश्किल है, जमीन से काफी नीचे होने और विशाल पहाड़ियों से घिरे होने के कारण इसके कई हिस्सों में सूरज की रौशनी भी देर से और कम पहुंचती है, मानसून में बादल पूरी घाटी को ढक लेते हैं और बादल यहां तैरते हुए नजर आते हैं। सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों की गोद में बसा यह क्षेत्र भूमि से एक हज़ार से 1700 फुट तक गहराई में बसा हुआ है. इस क्षेत्र में 40 से ज़्यादा मार्ग लोगों की पहुँच से दुर्लभ हैं और वर्षा के मौसम में यह क्षेत्र दुनिया से कट जाता है। छिन्दवाड़ा से 62 किमी तथा तामिया विकास खंड से महज 23 किमी. की दूरी पर स्थित “पातालकोट” समुद्र सतह से 3250 फुट ऊँचाई पर तथा भूतल से 1000 से 1700 फुट गराई में “पातालकोट” स्थित है। इस पातालकोट के 12 गांवों में भारिया और गाेंड आदिवासी रहते हैं। यहां रह रहे लोग महादेव को अपना इष्टदेव मानते हैं।