भोपाल।
कमलनाथ सरकार में कानून मंत्री पीसी शर्मा का बड़ा बयान सामने आया है। पीसी शर्मा ने कहा है कि किसानों पर 15 साल से चल रहे मुकदमो का खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी। शर्मा ने बताया कि यह फैसला बुधवार को हुई बैठक में लिया गया है। इससे पहले सरकार ने कैबिनेट में फैसला किया था कि किसानों औऱ कांग्रेस नेताओं पर लगे केस वापस लिए जाएंगें और अब उनका खर्च उठाने की बात कही है।
दरअसल, आज मीडिया से चर्चा के दौरान कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि किसानों पर बीते 15 साल से किसान आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज हुए 3000 से ज्यादा मुकदमों का खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी।जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि राजनीतिक जो भी मुकदमे चल रहे हैं उन्हें सरकार वापस लेने का पहले ही ऐलान कर चुकी है। साथ ही जो मामले अदालतों में विचाराधीन हैं, उनका खर्च भी सरकार उठाएगी। गृह मंत्री बाला बच्चन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में पिछले फैसलों पर मंथन किया गया है। बैठक में गृहमंत्री बाला बच्चन, कानून मंत्री पीसी शर्मा,सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह भी मौजूद थे। हालांकि किसानों और राजनैतिक मामलों में केस लेने का फैसला पहले ही कैबिनेट में हो चुकी है। इसको लेकर समितियां भी गठित की जा चुकी है।अब सरकार ने इन केसों का खर्च उठाने की बात कही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा लिए गए इस फैसले का कहीं ना कहीं मालवा की सीटों पर प्रभाव पड़ सकता है।विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी सरकार का फोकस सिर्फ और सिर्फ किसानों पर है। विधानसभा चुनाव के दौरान कर्जमाफी कांग्रेस का वनवास खत्म करने में संजीवनी बूटी साबित हुई थी और अब यह फैसला सरकार को विन 29 लक्ष्य को पूरा करने मे सहायक हो सकता है।
बीजेपी पर बोला हमला
वही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अजहर मसूद के नाम के आगे जी लगाने पर बीजेपी द्वारा किए जा रहे घेराव पर भी पीसी शर्मा ने निशाना साधा।शर्मा ने कहा कि अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित न होने के लिए बीजेपी जिम्मेदार है। चीन को मनाने में केंद्र सरकार की विदेश नीति फेल हुई। ये वही अज़हर मसूद है जिसको बीजेपी दूल्हा बनाकर कंधार छोड़कर आयी थी। अज़हर मसूद को छोड़ने में कांग्रेस की कोई सहमति नही थी, बावजूद इसके बीजेपी ने उसे छोड़ दिया।
गौरतलब है कि 6 जून 2017 को प्रदेश के मंदसौर जिले में किसान आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में मालवा के 9 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे इसमें छह किसानों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। इसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा किसान और नेताओं पर 307 से लेकर शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी धाराओं में 3183 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से कुछ मामलों में किसानो को सजा हो चुकी है और कुछ अभी भी अदालत में चल रहे है। इसके पहले सरकार ने यह फैसला ले लिया है।