मप्र विधानसभा : सर्वदलीय बैठक आज, कोरोना के चलते वर्चुअल सत्र पर हो सकता है विचार

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना (Corona) के कारण विधानसभा (Vidhansabha) के 21 से होने वाले तीन दिवसीय सत्र पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कई मंत्री (Ministers) और विधायक (MLA) इन दिनों कोरोना की चपेट में है और कई होम क्वॉरेंटाइन चल रहे हैं। ऐसे में सत्र में कितने विधायक हिस्सा लेंगे इस पर भी सवाल है। विधानसभा सत्र (Vidhansabha Session) को लेकर मंगलवार को सुबह 11:30 बजे विधानसभा सचिवालय में सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) बुलाई गई है इसमें सत्र को लेकर फिर से विचार किया जाएगा। बैठक में वर्चुअल सत्र (Virtual Session) पर भी विचार हो सकता है। प्रदेश में कोरोना की दर पिछले एक पखवाड़े में दुगनी हो चुकी है और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। अब तक मुख्यमंत्री समेत 10 मंत्री और 28 से अधिक विधायकों के कोरोना संक्रमित होने के बाद सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। इधर करीब एक दर्जन कोरना पॉजिटिव मंत्री विधायक क्वॉरेंटाइन है, जो इस सत्र में शामिल नहीं हो पाएंगे।

विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र 21 सितंबर से होना है सत्र को लेकर आज होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ मंत्री, मंत्री भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा, डॉ. गोविंद सिंह समेत कई प्रमुख नेता शामिल होंगे। कोरोना के संकट को देखते हुए सदस्यों का सत्र से पहले कोविड टेस्ट भी किया जाएगा।

60 साल से अधिक उम्र के 67 से अधिक विधायक
सत्र को लेकर सवाल उठाने के पीछे करीब 40 मंत्री विधायकों का अब तक कोरोना संक्रमित होना है। इसके अलावा इस बार की विधानसभा में 67 से अधिक ऐसे मंत्री विधायक हैं जो 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं। सत्र के दौरान इन विधायकों की सेहत को लेकर भी चर्चाएं हो रही है। माना जा रहा है कि दोनों दल अपने-अपने विधायकों की सेहत को लेकर सत्र 1 दिन का करने या फिर वर्चुअल सत्र करने पर बात कर सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में सत्र के बाद हुए 21 विधायक पॉजिटिव
हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा सत्र का अनुभव भी अच्छा नहीं रहा था। यहां सत्र के दौरान ही 5 विधायक पॉजिटिव हो गए थे और सत्र के बाद से अब तक 21 विधायक पॉजिटिव हो चुके हैं। माना जा रहा है कि सत्र हुआ तो कई उम्र दराज विधायक इस से दूरी बना सकते हैं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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