भोपाल, हरप्रीत रीन। पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus spyware) से जासूसी मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस पहले शून्य है और उसकी जासूसी से क्या फायदा। बीजेपी (BJP) हमेशा शुचिता की राजनीति करती है।
पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से देशभर में राजनेताओं विशेषकर विपक्षी नेताओं, पत्रकारों व प्रमुख लोगों की जासूसी के आरोपों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने पलटवार किया है। उनका कहना है कि ऐसी कांग्रेस जिसकी राजनीतिक ताकत शून्य हो गई हो भला उसकी जासूसी करा कर क्या फायदा होगा। राहुल गांधी खुद राजनीतिक रूप से शून्य हैं। आलू से सोना बनाने की बात कहने वाले व्यक्ति का फोन टेप करवा कर हम क्या करेंगे।
सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस जासूसों से भरी हुई पार्टी है। कांग्रेस (Congress) का इतिहास रहा है अपने ही लोगों की जासूसी कराना। तीन मूर्ति भवन से लेकर 1 सफदरजंग रोड तक और वहां से 10 जनपथ तक रहने वाले नेता हमेशा जासूसी के साए में रहे हैं और ऐसा करके कांग्रेस ने हमेशा देश के साथ-साथ अपनी ही पार्टी को भी कमजोर किया है। शिवराज ने कहा कि उस समय जासूसी करा कर कामराज और लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोगों को इंदिरा गांधी ने निपटाया था। इसके साथ ही सीताराम येचुरी जैसे नेताओं की सोनिया गांधी ने जासूसी कराई। कॉन्ग्रेस अब दल नहीं, दलदल हो गयी है।
सीएम शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ को निपटाने का काम भी दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने किया है। यूपीए (UPA) के कार्यकाल में 9000 फोन टेप किए गए। खुद अमर सिंह ने आरोप लगाया था कि सरकार उनके फोन टेप करा रही है। सीताराम येचुरी,सीपी नायडू और जयललिता ने यूपीए सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे और तब मनमोहन सिंह ने यह जवाब दिया था कि सरकार ने नहीं बल्कि प्राइवेट एजेंसी के फोन टेप कराये है।
सीएम शिवराज ने यह भी कहा कि जानबूझकर मानसून सत्र के ठीक एक दिन पहले कपोल कल्पित मामले को उछाला गया ताकि सत्र में बाधा डाली जा सके। बीजेपी के लिए देश पहले हैं लेकिन कांग्रेस के लिए पहले और आखिरी दोनों परिवार है।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)