Satpura Fire News : मध्य प्रदेश की प्रशासनिक हृदय स्थली वल्लभ भवन के अनुषांगिक अंग सतपुड़ा में लगी आग अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है। आग की वजह भले ही प्राकृतिक हो या किसी की लापरवाही हो लेकिन एक बड़ी लापरवाही ने प्रदेश के एक महत्वपूर्ण विभाग की गतिविधियों को जलाकर खाक कर दिया है। वर्षों पुराना रिकॉर्ड अब ढूंढे से नहीं मिलेगा।
सोमवार 12 जून को शाम 4 बजे सतपुड़ा भवन की तीसरी मंजिल से धधकी आग ने धीरे-धीरे चौथी, पांचवी और छठी मंजिल को भी अपने आगोश में ले लिया। देश की सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी का खिताब पाने का भोपाल की असलियत भी बेनकाब हो गई कि वह अपने प्रशासनिक भवन, जिसकी ऊंचाई महज 6 मंजिल है, कि आग को भी काबू पाने में सक्षम नहीं रह पाई।हालात इस कदर बिगड़े कि पहले बीएचईएल, उसके बाद सेना, एयर फोर्स सबकी मदद मांगनी पड़ी।सोमवार शाम 4 बजे से धधकती दूसरे दिन दोपहर 12 बजे बुझ पाई। तब तक खबरें आने लगी कि इस आग ने तीसरी मंजिल पर आदिम जाति कल्याण विभाग के साथ-साथ बाकी की तीन मंजिलों पर स्थित स्वास्थ्य विभाग के अनेक उपविभागों की महत्वपूर्ण जानकारियों को जलाकर खाक कर दिया। यह भी बात सामने आई कि लगभग 17000 फाइलें इस अग्निकांड में स्वाहा हो गई। इन फाइलों में अधिकारी- कर्मचारियों की जांचें,उनकी सी आर,सर्विस रिकार्ड,विभिन्न प्रकार की खरीद बिक्री के टेंडर की नोटशीटें, कोरोना काल के समय की पूरी डिटेल, नर्सिंग कॉलेज की जानकारी,सब कुछ मौजूद था जिसे पहले आग ने और फिर आग को बुझाने वाले पानी ने बर्बाद कर डाला।
समय पर नहीं हुई E–Filing
आनन-फानन में मुख्यमंत्री ने मंगलवार की सुबह बैठक बुलाई और इस अग्निकांड को लेकर एक जांच समिति एसीएस होम की अध्यक्षता में बना डाली।दावा यह भी किया गया कि ज्यादातर जानकारियां डिजिटल फॉर्म में मौजूद है जो जल्द रिकवर कर ली जाएगी। लेकिन अगर स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो यहां एनएचएम या आयुष्मान को छोड़कर किसी भी विभाग में ई फाइलिंग सिस्टम मौजूद ही नहीं। ऐसा नहीं कि ई फाइलिंग सिस्टम के लिए राज्य सरकार ने प्रयास नहीं किये। 2018 में ही सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को यह आदेश दिए थे कि वह अपने अपने यहां ई फाइलिंग सिस्टम लागू कर लें ताकि जरूरत पड़ने पर सेंट्रल सर्वर से किसी भी तरह की जानकारी सहज हासिल की जा सके। लेकिन सतपुड़ा में बैठे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया।फरवरी 2022 में एक रिमाइंडर फिर भेजा गया लेकिन उस पर भी ध्यान नहीं दिया गया। हैरत की बात यह है कि ईफाईलिंग के लिए यहां पर प्रशिक्षण दिया जा चुका था, सब के ईमेल आईडी भी बन चुके थे लेकिन इसे लागू नहीं किया गया । जानकारी मांगने पर भी केवल अस्पताल प्रशासन, विकास, आईटी, आईडीएसपी ने ही जानकारी दी। बाकी किसी विभाग ने इस बारे में रुचि नहीं दिखाई। अगर ई फाइलिंग वक्त पर कर ली गई होती तो सारा डाटा स्टेट डाटा सेंटर यानी एसडीटी में मौजूद होता जैसा एनएचएम का रहता है। हालांकि निचले स्तर के अधिकारी ईफाइलिंग के लिए लगातार प्रयास करते रहे लेकिन आला दर्जे के अधिकारी यह कहकर तक टरकाते रहे कि फाइनेंस और एचआर जैसी बड़ी-बड़ी फाइलों को ई फाइलिंग में लेना दिक्कत का काम है। हैरत की बात यह है कि स्वास्थ विभाग के पास पूरे विभाग का कोई बैकअप नहीं था बल्कि अलग-अलग डाटा कंप्यूटरों में मौजूद था जो जलकर खाक हो चुके हैं। ई फाइलिंग से ज्यादा चिंता अधिकारियों को अपने बैठने के लिए आरामदायक आफिस की थी तभी लगभग दस करोङ रु खर्च करके शानदार रिनोवेशन किया गया और 6 फ्लोर को फाइव स्टार होटल सा बना लिया गया। लेकिन वह भी इस अग्निकांड में जलकर स्वाहा हो गया।
लेटलतीफी का जिम्मेदार कौन?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अग्नि कांड की जांच हो जाएगी, उसके दोषी भी शायद सामने आ जाएं और उन पर कार्रवाई भी हो जाए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में ई फाइलिंग को लेकर जो लेटलतीफी हुई और जिसके चलते आज मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का पूरा डाटा अंधेरे में खो गया, उसका जिम्मेदार कौन है और उस पर कार्रवाई कौन करेगा। विभाग के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आज की स्थिति में स्वास्थ विभाग में अब जो भी काम शुरू होगा वह 13 जून से होगा क्योंकि उसके पहले का पूरा डाटा अग्निकांड में स्वाहा हो चुका है और यह अधिकारियों की बड़ी लापरवाही है कि उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की और ई फाइलिंग सिस्टम को लागू नहीं होने दिया।