नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने आज पटियाला की मख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सरेंडर (Sidhu Surrenders) कर दिया। अब उन्हें एक साल के लिए जेल में रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में एक साल की सजा सुनाई है। मेडिकल जांचों के बाद सिद्धू को पटियाला सेन्ट्रल जेल (Navjot Singh Sidhu reached Patiala Central Jail) भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कल गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को 34 साल पुराने मामले में एक साल की कठोर सजा का एलान किया था। सिद्धू के वकील उनके सरेंडर के लिए समय चाहते थे। सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आज सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया उन्होंने सिद्धू की ख़राब सेहत का हवाला देते हुए समय मांगा लेकिन जस्टिस एएम खानविलकर ने इंकार कर दिया।
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जस्टिस खानविलकर ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि ये मामला विशेष पीठ का है इसलिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पास अर्जी लेकर जाएँ। लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई के सामने अर्जी नहीं दी क्योंकि सीजेआई ने पहले ही साफ कर दिया था कि अर्जेन्ट मेंशनिंग सूचि में दर्ज मामलों के अलावा अन्य कोई मामले की सुनवाई नहीं होगी।
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सिद्धू की मेडिकल जांचों के बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल भेज दिया गया। यहाँ उन्हें एक साल बिताना होगा। सिद्धू अपने साथ कपड़ों से भरा बैग लेकर गए हैं। सिद्धू ने इस दौरान किसी से कोई बात नहीं की।
ऐसे समझें मामला
आपको बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ था। झगड़े में सिद्धू ने उन्हें मुक्का मारा। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट चला गया। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इसके बाद जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट चले गए।
16 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी आईपीसी की धारा 304 से बरी कर दिया। हालांकि IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार जुर्माना लगा। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने SC में पुनर्विचार याचिका दायर की और कल गुरुवार 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर अपना ही फैसला बदलते हुए आईपीसी की धारा 323 यानी चोट पहुंचाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुना दी।