भोपाल। इस शहर की फिजाओं की तासीर और इस मिट्टी की मुहब्बत इंसानों को जीते-जी यहां से विदा होने की इजाजत तो देता ही नहीं, मरने के बाद भी यहां की सरजमीं लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। नवाब परिवार से ताल्लुक रखने वाली नवाब पाटौदी की बहन और नवाब हमीद उल्लाह की नवासी सालेहा सुल्तान की आखिरी तमन्ना ने इस बात को साबित कर दिया। रविवार को उनका इंतकाल हैदराबाद में हुआ लेकिन उनकी वसीयत के मुताबिक उन्हेंं भोपाल लाकर सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह खां की लाड़ली नवासी सालेहा सुल्तान अपने परिवार और शहर में डिंपो बिया के नाम से पहचानी जाती हैं। नवाब पाटौदी की बड़ी बहन सालेहा का विवाह हैदराबाद में हुआ था। वहीं उनका परिवार आबाद है। कुछ समय पहले उनके शौहर का इंतकाल हुआ था, उसके बाद से ही डिंपो बिया भी बीमार चल रही थीं। रविवार को उनके ब्रेन डेड होने की खबरें आने लगी थीं और शाम तक उनके इंतकाल की खबर ने शहर को शोक में डुबो दिया। डिंपो बिया की शहर और अपने खानदान से मुहब्बत का आलम यह था कि उन्होंने अपने जीवनकाल में ही इस बात की वसीयत कर दी थी कि उन्हें अपने नाना नवाब हमीद उल्लाह के पास ही दफन किया जाए। उनकी आखरी तमन्ना को पूरा करने के लिए उनके परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को हैदराबाद से भोपाल लाने के इंतजाम किए। जिसके बाद रविवार रात चलकर उनका शरीर सोमवार को भोपाल पहुंचाया गया। डिंपो बिया को उनकी ख्वाहिश के मुताबिक उनके नाना की कब्र के पास सूफिया मस्जिद कैम्पस में ही दफन किया गया। सालेहा के चारों बेटे साद जंग, अमीर जंग, उमर जंग और फैज जंग उनके साथ आए थे। शहर में मौजूद उनके रिश्तेदारों के अलावा नवाब खानदान से जुड़े बड़ी तादाद में लोग उनके आखिरी सफर में मौजूद थे।