मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आते शिवराज सरकार में हुए घोटालों की जांच को लेकर सियासत फिर तेज हो गई। हाल ही में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के पीडब्लूडी मंत्री ने प्रदेश के चर्चित ई टेंडरिंग घोटाले की नए सिरे से जांच का ऐलान किया था।वही अब आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने ईओडब्ल्यू की कार्रवाही पर सवाल खडे किए है। उन्होंने ईओडब्ल्यू से पूछा है कि आखिर इस घोटाले की जांच कब होगी और इसके लिए जिम्मेदार कौन है बीजेपी या फिर आप।साथ ही उन्होंने ईओडब्ल्यू पर सबूत मिटाने का भी आरोप लगाया है।
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मप्र कांग्रेस कमेटी के सूचना का अधिकार विभाग के चैयरमेन और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि मध्यप्रदेश में अरबों रुपए के ई टेंडर घोटाले पर FIR कब होगी ? मुझे RTI से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय दुबे के पत्र पर आवश्यक कार्यवाही के लिए 11 जुलाई 2018 को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह को निर्देशित किया था। मुख्य सचिव के सीधे नियंत्रण में आने वाली जांच एजेंसी ने जून 2018 में प्रकरण मिलने के बावजूद मप्र आर्थिक अपराध ब्यूरो ने आज तक इस बहुचर्चित घोटाले में FIR नही की । लगता है सबूतों को मिटाने के लिए विलंब हो रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में ई-टेंडर घोटाले को जनता के सामने उठाने के लिए साहस कहां से लाओगे
गौरतलब है कि इस घोटाले के बाहर आने के बाद मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक मधु कुमार को निर्देश दिए थे कि वे इस मामले में एफआईआर दर्ज करें। बावजूद इसके ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज नहीं की और ईओडब्लू की जांच भी अब तक इस मामले में नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई क्यों नहीं की यह भी अब जांच का विषय बन गया है। इस मामले में सूत्रों की मानें तो 2014 से लेकर 2018 तक लगभग 50 हजार करोड़ के टेंडर दिए जाने में गड़बड़ी हुई है। इस घोटाले में जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगरी प्रशासन विभाग, लोक निर्माण विभाग जैसे लगभग एक दर्जन विभाग शामिल है। यदि घोटाले की सही जांच हुई तो इसके लपेटे में कई आईएएस अधिकारी भी आएंगे।