छिंदवाड़ा, विनय जोशी। इंटक यूनियन के केंद्रीय नेतृत्व में पिछले कई दिनों से विवाद चल रहा था, जिसके कारण इंटक यूनियन के दो गुट बन कर कोल श्रमिकों के बीच कार्य कर रहे थे। अभी कुछ दिनों पूर्व इंटक यूनियन का आपसी विवाद खत्म हो गया जिसके बाद इंटक यूनियन के वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष पेंच-कन्हान के रीजनल कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होने कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया।
इंटक यूनियन के वेकोलि अध्यक्ष को खिरसाडोह से रीजनल कार्यालय चांदामेटा तक यूनियन के कार्यकर्ताओं द्वारा रैली निकाल कर गाजेबाजे के साथ लाया गया, जहां स्वगात सत्कार के बाद कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू हुआ जिसमें श्रमिक नेताओ ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ककहा कि मोदी सरकार विभिन्न सार्वजनिक उद्योगों के साथ ही कोयला उद्योग को भी पूंजीपतियों के हाथ बेच दे रही है। निजीकरण के इस खतरनाक नीति के कारण वर्तमान में कोल इंडिया में मात्र 2 लाख 34 हजार ही स्थाई कर्मचारी बचे हैं। मोदी सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 में कोल इंडिया में मात्र 1 लाख कर्मचारी रखने का है। वहीं सरकार ठेका श्रमिकों को बढ़ावा दे रही है। इंटक ठेका श्रमिकों को संगठित कर उनके अधिकार को दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करेगी। यह बात मंगलवार को वेकोलि इंटक के अध्यक्ष एसक्यू जमा ने कही है।
श्रम शक्ति भवन चांदमेटा में इंटक के सम्मेलन को संबोधित करते हुए एस क्यू जमा ने कहा कि उच्च न्यायालय नागपुर की डबल बेंच ने इंटक को औद्योगिक संबंध में शामिल करने का निर्णय दिया था, लेकिन 90 दिनों तक प्रबंधन ने उसका पालन नहीं किया। इस बारे में इंटक ने जब कोल इंडिया-श्रम मंत्रालय एवं कोयला मंत्रालय को पत्र लिखा तो उसका भी जवाब नहीं मिला। जिसके बाद इंटक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया गया। इंटक अध्यक्ष का कहना था 10 वे वेतन समझौते में इंटक शामिल नहीं थी लेकिन चार अन्य श्रम संगठन ने मेडिकल अनफिट को लेकर हस्ताक्षर किए। पर पूरे 5 साल में किसी भी बीमार कर्मचारी को मेडिकल अनफिट कर उनके आश्रित को नौकरी नहीं दी गई। उन्होने कहा कि भारतीय मजदूर संघ भी निजीकरण का विरोध कर रहा है। लेकिन जब कोल इंडिया में हड़ताल की बात आती है तो फिर भारतीय मजदूर संघ अपने हाथ पीछे खींच लेता है।
सम्मेलन में वेकोलि इंटक के महामंत्री केके सिंह ने कहां की पिछले 2 सालों से कुछ गलतफहमी के कारण पदाधिकारियों के बीच आपसी मनमुटाव था जिसे दूर कर लिया गया है और इंटक जो सभी समितियों और औद्योगिक संबंध से बाहर है। संभवतः 4 महीने के भीतर उच्च न्यायालय से इंटक के पक्ष में फैसला आ जाएगा। वहीं विधायक एवं कार्यकारी अध्यक्ष सोहन वाल्मीक का कहना था इस बार 22 अगस्त से शुरू हो रहे कर्मचारी सदस्यता अभियान में पेंच एवं कन्हान से 400 सदस्य अधिक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने अन्य श्रमिक संगठन के द्वारा इंटक के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचार की निंदा की और कार्यकर्ताओं को उत्साह के साथ सदस्य बनाने के बारे कहा।
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श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।