गुणवत्ता विहिन चावलों को लेकर सीएम शिवराज के निर्देश, मामले की EOW करेगी जांच

Gaurav Sharma
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बागली, सोमेश उपाध्याय।  प्रदेश की उचित मूल्य की राशन की दुकानों में उपभोक्ताओं को गुणवत्ता विहीन चावल प्रदाय करने के संबंध में आज मंत्रालय में उच्चस्तरीय बैठक ली। यह अत्यंत गंभीर मामला है। इसकी ईओडब्ल्यू से जांच करवाई जायेगी। जांच के आधार पर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। बालाघाट व मंडला जिलों के निरीक्षण के बाद गोदामों से चावल का प्रदाय और परिवहन बंद कर दिया गया है।

पूरे प्रदेश में खाद्यान की गुणवत्ता सुनिश्चित होनी चाहिए। पूर्व में कहीं भी हुई गड़बड़ी की जांच होगी। किसी भी कीमत पर खाद्यान की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जायेगा। गुणवत्ताविहीन चावल प्रदाय के मामले में सख्त कदम उठाये गये हैं। बालाघाट जिले के 3 गोदामों का निरीक्षण किया गया, जिसमें निर्धारित मानकों के अनुरूप चावल नहीं मिलने पर उन गोदामों से चावल का प्रदाय और परिवहन बंद कर दिया गया है।

प्रदेश में सैम्पल लेने की कार्रवाई जारी है। कुल 51 संयुक्त दल गठित कर भंडारित चावल के एक हजार से अधिक सैम्पल लिए जा चुके हैं। इनमें से 284 की जांच प्रारंभ की गई है। भारतीय खाद्य निगम के स्थानीय कार्यालयों से मिली जानकारी के अनुसार 72 सैम्पल वितरण योग्य हैं, जबकि 57 सैम्पल मानकों के अनुरूप नहीं है। प्रदेश के अन्य जिलों से चावल की शेष मात्रा में से सैम्पल लेने का कार्य भी इस सप्ताह कर लिया जायेगा। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा। आगे ऐसी संभावना को निर्मूल करने के लिए उचित कार्रवाई की जायेगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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