अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसान, मांग पूरी नहीं होने पर करेंगे उपचुनाव का बहिष्कार

Gaurav Sharma
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डबरा,सलिल श्रीवास्तव। कृषि उपज मंडी प्रांगण में आज क्षेत्र के सैकड़ों की संख्या में किसान एकत्रित होकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गये। किसानों की मांग है कि उनकी धान की उपज का मूल्य 14 सौ से बढ़ाकर लगभग चार हज़ार रुपय किया जाना चाहिये। इसी के साथ प्रदेश भर में मॉडल मंडी एक्ट के खिलाफ आज से  प्रदेश की 272 मंडियों के 90 हजार से अधिक किसान हड़ताल पर चले गए हैं।

किसानों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में इस मूल्य से हमारी खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानो का साफ़ तौर पर कहना है कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती, यह धरना जारी रहेगा। किसानों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हमारा यह आंदोलन समय के साथ उग्र होता जाएगा। साथ ही किसान उपचुनाव के बहिष्कार को लेकर भी रणनीति बना रहे है, यदि मांगे नहीं मानी गई तो नेताओं को गांवों में नहीं घुसने दिया जायेगा।

बता दें कि डबरा कृषि उपज मंडी में सैकड़ों की संख्या में आसपास के गांव के किसान इकट्ठा होकर धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं तो दूसरी तरफ आज पिछोर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले श्याबर वाली माता मंदिर के प्रांगण में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कई विकास कार्यो का शिलान्यास एवं भूमि पूजन करेंगे। लेकिन किसान है कि अपनी मांगों को लेकर अभी भी धरने पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि हमारी मांगें जब तक पूरी नहीं होगी तब तक हम धरने पर ही बैठे रहेंगे और आने वाले उप चुनाव का बहिष्कार भी करेंगे। कुछ दिनों पहले किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन अभी तक उसका कोई भी हल नहीं निकला है , जिससे किसानों में बहुत आक्रोश देखा जा रहा है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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