दमोह- 45 साल की उम्र में 16 वीं संतान को दिया जन्म, जच्चा-बच्चा दोनों की मौत

Gaurav Sharma
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gave birth to 16th child at the age of 45, death of both mother and child in damoh

दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह (damoh) जिले के बटियागढ़ थानांतर्गत ग्राम पाडाझिर में एक 45 वर्ष की महिला द्वारा शनिवार को प्रसव के उपरांत (post delivery) अपने 16 में बच्चे को जन्म दिया गया, लेकिन महिला की गंभीर हालत होने पर उसे तत्काल ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) लाया गया, जहां रास्ते में ही महिला एवं नवजात की मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार जिले के बटियागढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम पाड़ाझिर निवासी सुखरानी पत्नी दुल्ला अहिरवार 45 वर्ष द्वारा शनिवार को प्रसव के उपरांत 16 वें बच्चे को जन्म दिया। लेकिन प्रसव के दौरान गंभीर हालत के चलते परिजन उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हटा लाए, जहां रास्ते में ही महिला सुखरानी एवं नवजात दोनों की मौत हो गई।

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बताया गया है कि महिला सोलहवीं बार मां बनी थी। महिला कि पहले की 15 संतानों में से मात्र 4 लड़के और 4 लड़कियां जीवित हैं, जबकि 7 बच्चों की मौत हो चुकी है। वही इसमें दो संतानों का विवाह भी हो चुका है। लेकिन फिर भी मां बनने की जिद में एक परिवार में खुशियों के स्थान पर मातम की स्थिति ला दी।

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संगीता त्रिवेदी (Health Officer Dr. Sangeeta Trivedi) का कहना है कि शासन की इतनी योजनाओं के बाद भी अभी तक महिला का परिवार नियोजन ना होना जांच का विषय है और इसमें जांच कराई जाएगी, जो भी दोषी होगा उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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