12 घंटे से अनशन पर बैठे कोचिंग संचालक, कर रहे ये मांग

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले के कोचिंग संचालकों के द्वारा जिला मुख्यालय पर एक अनूठा विरोध प्रदर्शन किया गया। ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन के तहत अनशन किया गया और इसमें मांग रखी गई कि शासन के द्वारा तत्काल ही विद्यार्थियों के लिए बेरोजगारों के लिए नौकरियां निकाली जाए, जिससे उनको बेरोजगारी से निजात मिल सके। इसके साथ ही कोचिंग की शुरुआत करने के लिए भी यह अनशन जारी रहा।

दरअसल, दमोह जिला मुख्यालय पर आयोजित किए गए इस अनशन के दौरान जिलेभर के समस्त कोचिंग संचालक शामिल हुए। इन लोगों ने एक कोचिंग सेंटर में ऑनलाइन अनशन का आयोजन किया। लगातार 12 घंटे से भी ज्यादा चलने वाला यह ऑनलाइन अनशन पूरे देश में अनूठा ही कहा जाएगा, क्योंकि इस तरह का अनशन कोचिंग संचालकों द्वारा अभी तक नहीं किया गया है।

इन कोचिंग संचालकों की मांग है कि शासन के द्वारा शासकीय नौकरीयां नहीं निकाली जा रही है, साथ ही बेरोजगारों के लिए नौकरियां निकाले जाने के दौरान भी उनको नियुक्ति दिए जाने तक भी समय काल बहुत ज्यादा लिया जाता है। ऐसे में वे लोग बेरोजगार हो जाते हैं। इन लोगों की यही मांग है कि जहां शासन द्वारा सभी तरह की छूट देकर संस्थान खोल दिए गए हैं, वहीं कोचिंग संस्थान अभी भी बंद रखे गए हैं, जिससे उनको भी आर्थिक नुकसान हो रहा है और बेरोजगार भी परेशान है। कोचिंग संचालकों की मांग है कि शासन उनकी मांगों पर ध्यान दें, जिससे उनको और बेरोजगारों को लाभ मिल सके उनका जीवन यापन हो सके।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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