MP News : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह के गंगा जमुना स्कूल संचालकों के कारोबार को राडार पर ले लिया है। इस समूह के कारोबार पर जांच के लिए उन्होंने सीधे मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं। शुरुआत में इस मामले को कलेक्टर ने क्लीनचिट दी थी लेकिन यह मामला बीजेपी के एक युवा नेता की सक्रियता के चलते ही सामने आ पाया।
दमोह का गंगा-जमुना स्कूल और उसमें पढ़ने वाले टॉपर छात्राएं…कुछ दिन पहले इनका एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें बोर्ड परीक्षा में टॉप रहने वाली छात्राओं को हिजाबनुमा ड्रेस में दिखाया गया था। स्कूल संचालकों से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कह दिया कि यह तो स्कार्फ है। लेकिन जैसे ही यह मामला बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेंद्र शर्मा के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और सीधे मुख्यमंत्री को ट्वीट के माध्यम से इससे अवगत करा दिया। कलेक्टर की क्लीन चिट के बाद हालांकि बहुत कुछ होने की गुंजाइश बची नहीं थी लेकिन सुरेंद्र शर्मा ने लगातार प्रयास जारी रखें और फिर सबसे पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले की जांच कराने की बात की। सुरेन्द्र शर्मा ने इस मामले की जानकारी अपने संगठन को भी दी और सबसे पहले इस मामले में सबसे कड़ा बयान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का आया जिन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस तरह के जेहादी साम्राज्य चलाने वाले नेटवर्क मध्यप्रदेश में ध्वस्त कर दिए जाएंगे। इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कलेक्टर को जांच करने के निर्देश दिए।
मंगलवार को प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस पूरे मामले मे दमोह के कलेक्टर और डीईओ की भूमिका पर ही सवाल खड़े कर दिए और कह दिया कि यह स्कूल संचालकों से मिले हुए लगते हैं। परमार ने तो इस स्कूल के संचालकों की आतंकी फंडिंग होने तक की बात कह डाली। बुधवार को मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल आते ही इस मामले में FIR करने के निर्देश दिए और थोड़ी देर बाद ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पर मुहर लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में किसी भी स्थिति में इस तरह के नेटवर्क को नहीं चलने दिया जाएगा। बुधवार की शाम को ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक इस पूरे मामले में गंगा जमुना स्कूल के कारोबार जिसमें बीड़ी का निर्माण, तेंदूपत्ता संग्रहण, रेत कारोबार, जमीन के कारोबार, हजारों एकड़ जमीन पर कब्जा जैसी चीजें शामिल है, की विस्तृत जांच करें। अब उम्मीद है कि प्याज के छिलकों की तरह इस स्कूल के संचालकों के कारनामों की परत दर परत सामने आएगी। लेकिन यहां सवाल यह भी होता है कि अगर सुरेंद्र शर्मा ने सक्रियता नहीं दिखाई होती तो दमोह के कलेक्टर ने तो इस मामले पर धूल ही डाल दी थी।