सतना से शुरु हुई न्याय साइकिल यात्रा पहुंची दमोह, दुष्कर्म की घटनाओं को रोकना है मकसद

Gaurav Sharma
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damoh justice cycle rally

दमोह, गणेश अग्रवाल। देश-प्रदेश में लगातार ही बहन बेटियों के साथ हो रही दुराचार की घटनाओं से आहत सतना जिले के युवाओं ने आरंभ न्याय साइकल यात्रा का आगाज किया है। यह यात्रा भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौपेगी। साथ ही कड़े कानून के बीच ऐसे दोषियों को एक माह के भीतर फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग भी करेगी। यह यात्रा दमोह पहुंची जहां पर यात्रा में शामिल युवाओं ने अपना लक्ष्य बताया।

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दरएअसल, देश में लगातार बढ़ रही दुराचार की घटनाओं के विरोध में जहां लोग आहत हैं, वहीं मध्यप्रदेश के सतना जिले के युवाओं ने आरंभ न्याय साइकिल यात्रा के माध्यम से बहन बेटियों को न्याय दिलाने तथा प्रदेश एवं देश में महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए कानून को कड़ा करने की मांग को लेकर एक साइकिल यात्रा का आगाज किया।

इस साइकिल यात्रा का शुभारंभ सतना से होने के बाद शुक्रवार को यह यात्रा दमोह पहुंची, जहां से यह यात्रा भोपाल के लिए रवाना हो गई। भोपाल में यात्रा पहुंचने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौपेगी, जिसमें इस तरह के मामलों पर लगाम लगाए जाने और कड़े कानून की व्यवस्था करने की मांग की जाएगी। साथ ही 1 माह के अंदर आरोपी को फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग भी युवाओं द्वारा की जाएगी।

 

युवाओं का कहना है कि यह घटनाएं हमारे देश और प्रदेश को कलंकित कर रही हैं। ऐसे हालात में इस तरह की घटनाओं को रोकने कड़े कानून का बनाया जाना आवश्यक है। इस न्याय साइकिल यात्रा में 4 युवा शामिल है,  वहीं इनके साथ मेडिकल टीम के 2 लोग भी चल रहे हैं। इस यात्रा को लेकर युवाओं ने अपना लक्ष्य बताया.


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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