बारिश के दौर में प्लास्टिक की पन्नी डालकर शव जलाते हैं इस गांव के लोग, विश्राम घाट पर नहीं है टीन शेड

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल

जिले के शीश पुर पट्टी गांव के लोग शव जलाने के लिए खुले आसमान के नीचे मशक्कत करते हैं। दरअसल गांव में टीन शेड नहीं है ऐसे हालात में बारिश के मौसम में यहां के लोगों को पन्नी डालकर शव जलाना पड़ता है।

दमोह जिले में शुक्रवार को पूरे दिन बारिश का दौर शुरू रहने के चलते इस गांव के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़  रहा है। गांव में एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद अंतिम संस्कार करने के लिए जब लोग श्मशान घाट पहुंचे, तो वहां पर भी पानी गिर रहा था। ऐसे हालात में लोगों को प्लास्टिक की पन्नी ऊपर डाल कर अंतिम संस्कार करना पड़ा।

इस अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे एक जागरूक व्यक्ति द्वारा जब यहां का वीडियो बनाया गया, तो लोग कैमरे पर बोलने से बचते नजर आए। लेकिन ग्रामीणलोग टीन शेड की मांग करने के लिए प्रशासनिक लोगों से मिलकर शिकायत करने की बात जरूर करते दिखे। लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने से लोगों को एक बार फिर गांव में मृत्यु होने पर भारी बारिश में, खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक की पन्नी के सहारे टीन शेड के अभाव में अंतिम संस्कार करना पड़ा.


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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