गलती पर भी पुलिस से कर रहे ये शक्स बहस, वीडियो वायरल

Gaurav Sharma
Updated on -

दमोह, गणेश अग्रवाल। गलती होने के बावजूद भी लोग किस तरह से पुलिस के साथ बहस बाजी करने लगते हैं. साथ ही पुलिस को ही गलत ठहराने लगते हैं ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते है। एक ऐसा ही दमोह से आया है जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है है, जिसमें एक व्यक्ति गलती करने के बाद पुलिस को ही दोषी ठहरा रहा है। आपने अभी तक अनेक ऐसे वीडियो देखे होंगे जिसमें पुलिस को दोषी बताया जाता है, लेकिन आम जनता भी किस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाती है आप भी देखिए।

 

सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो हटा थाना अंतर्गत बताया जा रहा है, जिसमें बिना हेलमेट के तीन लोग एक मोटरसाइकिल पर सवार होकर जा रहे थे। जिसको एक पुलिसकर्मी के द्वारा रोके जाने के बाद बाइक का चालक अधेड़ व्यक्ति किस तरह पुलिस से बहस बाजी कर रहा है। वही पुलिसकर्मी भी नियमों का हवाला देकर चालानी कार्रवाई करने की बात कर रहा है। इस मामले पर चालान बनाने के लिए जहां पुलिसकर्मी बार-बार कह रहा है, वही नियमों को तोड़ने वाला बाइक चालक ऐसा ना करने के लिए जोर से चिल्लाकर के दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। यह वीडियो बनाए जाने के बाद अब सोशल मीडिया पर वायरल है। अकसर अपने कर्तव्य के काम में लगे हुए पुलिसकर्मियों को ही दोषी ठहराए जाने की वीडियो मीडिया पर वायरल होते हैं, लेकिन इस वीडियो में पुलिस द्वारा जब नियमों की बात की जाती है तो आम जनता किस तरह हुज्जत करती है यह यह वीडियो दिखा रहा है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News