दतिया, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दतिया (Datia) में तेजी से बढ़ रहे कोरोना (Coronavirus0 को देखते हुए दतिया कलेक्टर (Datia Collector) ने बड़ा फैसला किया है। दतिया कलेक्टर संजय कुमार ने सभी शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों (government officer-employees) के अप डाउन पर रोक लगा दी है।अब बिना अनुमति के कोई भी अधिकारी और कर्मचारी मुख्यालय नहीं छोड सकेंगे। इस संबंध में कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिया है।
दतिया कलेक्टर ने अपने जारी आदेश में कहा है कि दतिया जिले में कई शासकीय अधिकारी और कर्मचारी कोरोना काल मे भी सीमावर्ती जिलों, झांसी, ग्वालियर और मुरैना जिलों में अप डाउन कर अपने शासकीय कार्यों का निर्वाहन रहे है, लेकिन शासकीय नियम भर्ती के अनुसार उन्हें मुख्यालय पर होना अनिवार्य है। वही कोरोना के आंकड़े भी दिनों दिन बढ़ रहे है, ऐसे में अलग अलग जिलों से अप डाउन करने पर कोरोना का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए आज से अधिकारी-कर्मचारी बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे।
वही आज हुई बैठक में दतिया कलेक्टर संजय कुमार ने साफ कहा कि जिले में 26 अप्रैल 2021 की सुबह 6 बजे तक कोरोना कर्फ्यू लागू है इसका पूरी सख्ती के साथ पालन कराया जाये। यह कर्फ्यू नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है। उन्होंने कोरोना कर्फ्यू की समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को जिले की सीमा पर वैरियर लगाकर आने जाने वाले लोगो की चैकिंग की जाए। इसके साथ ही दतिया रेलवे स्टेशन पर भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए।
दतिया कलेक्टर ने कहा कि बस परिचालक एवं चालक भी बसों में बैठने वाले यात्रियों के नाम, पता एवं मोबाईल नम्बर भी लें। उन्होंने निर्देश दिए कि अनावश्यक रूप से लोगों का आवागमन पर प्रतिबंध रहे। अनावश्यक रूप से निकले वाले लोगों को दो घंटे बग्गीखाना मैदान में खुली जेल में रखा जायेगा। उन्होंने बताया कि शादी समारोह निर्धारित स्थल पर न करने पर टैंट, शामयाना जप्ती की कार्यवाही की जायेगी।
कलेक्टर संजय कुमार ने अधिकारियों के साथ कोरोना कर्फ्यू के दौरान नगर का भ्रमण कर ऐसे लोग जो अनावश्यक रूप से घूमते पाए जाने पर उन्हें समझाईश देते हुए घरों में रहने की हिदायत दी। उन्होंने लोगों से कहा कि अतिआवश्यक कार्य होने पर ही अपने घर से बाहर मास्क लगाकर ही निकलें।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
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मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
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दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)