एनजीटी की रोक के बाद भी रात होते ही शुरू हो जाता रेत का अवैध खनन, प्रशासन मौन

Amit Sengar
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सेवढा,राहुल ठाकुर। पिछले दिनों भिंड जिले में एनजीटी (NGT) की रोक के बाद भी चल रहे अवैध खनन को लेकर भिंड कलेक्टर के द्वारा करीब आधा सैकड़ा से अधिक वाहनों पर सीज की कार्यवाही की गई, लेकिन एनजीटी की रोक के बावजूद भी दतिया जिले में अवैध खनन रोकने का नाम नहीं ले रहा है, हम बात कर रहे हैं सेवड़ा तहसील की जहां पर शाम होते ही लोकल रेत माफिया जमकर रेत का उत्खनन सिंध नदी के घाटों से कर रहे हैं।

स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद से शाम होते ही लोकल रेत माफिया सक्रिय हो जाते हैं और गली गली और चौराहे चौराहे प्रशासन की नजरबंदी करते नजर आते हैं रेत का अवैध खनन वन विभाग की सीमा व राजस्व विभाग की सीमा से किया जा रहा है वही सिंध नदी के घाटों से भी रेत का अवैध उत्खनन प्रशासन की नाक के नीचे से किया जा रहा है रेत माफियाओं की सक्रियता व गठजोड़ नेटवर्क की बात करें तो उन पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई नहीं है।

एनजीटी की रोक के बावजूद लोकल रेत माफिया भी स्थानीय प्रशासन से मिलकर रेत का अवैध उत्खनन कर बेधड़क होकर परिवहन करने में जुटे हुए हैं एक तरफ प्रशासन नगरीय निकाय चुनाव में व्यस्त था वही रेत माफिया इसका सही फायदा लेते हुए शाम होते ही सक्रिय हो जाते थे और रेत का बेखौफ उत्खनन कर शासन प्रशासन को प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचा रहे हैं इन सब के बाबजूद रेत माफिया सक्रिय है लेकिन स्थानीय प्रशासन इन रेत माफियाओं पर कोई कार्यवाही नही करता है जिससे उनके हौसले बुलंद है और उनके आगे सारे नियम कानून शिथिल है।

उड़नदस्ता टीम भी बनी दर्शक
रेत के अवैध काले कारोबार को रोकने के लिए दतिया जिला से खनिज उड़नदस्ता की टीम भी आए दिन सेबड़ा नगर स्थित अस्वीकृत रेत खदानों पर छापामार कार्यवाही करती है लेकिन यह कार्यवाही रेत माफियाओं के आगे शून्य साबित होती है और रेत माफियाओं के नेटवर्क को देख खाली हाथ वापस आना पड़ता है रेत माफियाओं के नेटवर्क स्थानीय प्रशासन समेत सत्ता पक्ष के कद्दावर नेताओं से जुड़े होने के कारण उन पर प्रशासन भी कार्यवाही करने से डरता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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