गौशाला में हुई 24 गायों की मौत, धरने पर बैठे गौ-सेवक, कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

Gaurav Sharma
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देवास, अमिताभ शुक्ला

जिले के शंकरगढ़ स्थित गौशाला से दिल बनाने वाला मामला सामने आया है। गौशाला में 24 गायों की मौत दलदल में फंस जाने के कारण हो गई है। गायों की मौत की खबर मिलते ही हिंदुवादी नेता और कांग्रेसी नेता मौके पर पहुंचे। वहीं इस पूरे मामले पर गौ सेवकों ने प्रशासन पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया है, वही दलदल में फंसने के कारण हुई गायों की मौत को लेकर प्रदर्शन पर बैठ गए।

गौशाला समिति के सदस्य ने बताया कि उनके द्वारा कई बार प्रशासन को व्यवस्थाओं को लेकर सूचित किया गया था। कई बार व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए गुहार भी लगाई गई थी इसके बावजूद भी प्रशासन ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया। उनका कहना है कि गौशाला में ना तो पशु चिकित्सक आते हैं ना ही प्रशासन द्वारा गायों के लिए चारे की कोई व्यवस्था की गई। इन अव्यवस्थाओं के चलते 24 गायों की दलदल में फंस जाने से मौत हो गई है।

गायों की हुई मौत का विरोध करते हुए गौ सेवक वहीं कीचड़ में बैठ कर धरना देने बैठ गए, साथ ही उनकी मांग है कि गौशाला में गौमाता के लिए व्यवस्थाओं को प्रबल किया जाए, अगर ऐसा नहीं होता है तो वे धरने पर बैठे रहेंगे। मौके पर पहुँचे शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने व्यवस्थाओ को लेकर सवाल खड़े किये और कहा कि यदि व्यवस्थाएं नही सुधरी तो कांग्रेस गौ माता के लिए सड़कों पर उतरेगी।

इधर पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला ने जांच दल का गठन किया है। साथ ही गौशाला से गायों को दूसरी गौशालाओं में शिफ्ट करने के आदेश दिए गए हैं।
कलेक्टर चंद्र मौली शुक्ला ने एसडीएम देवास, राजस्व की टीम, वेटरनरी के डिप्टी डायरेक्टर पंचायत और नगर निगम की संयुक्त टीम को तुरंत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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