गणेशोत्सव के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने में जुटे दुबे दंपत्ति, बीते 3 साल से बना रहे प्रतिमा

Gaurav Sharma
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देवास, अमिताभ शुक्ला

शनिवार से गणेश उत्सव शूरु हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार लोग भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घरों में स्थापित करते है, वहीं दस दिनों के बाद प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। लेकिन पीओपी से बनी मूर्तियों पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है, जिसको देखते हुए जिले के दुबे दंपत्ति पिछले 3 सालों से भगवान गणेश की इको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाने का बीड़ा उठा रहे है। जिसके तहत वह प्रतिमा निशुल्क वितरित करते तो हैं ही , साथ ही इसे बनाने का तरीका भी सरल सहज बताते हैं ।

देवास के इटावा क्षेत्र में रहने वाले आदित्य दुबे का कहना है , कि यह प्रेरणा उन्हें नदियों में पड़ी हुई पीओपी की अधूरी गली हुई प्रतिमा देखकर हुई, जिसमें उन्हें भगवान के अपमान का भी एहसास हुआ । जिसके बाद उन्होंने इको फ्रेंडली गणेश बनाने का संकल्प लिया और स्वयं ही एक तरीका इजाद किया । जिसके तहत वे एक विशेष तरह की मिट्टी जो कि पानी में घुलनशील होती है , उसे उपयोग कर मात्र 9 मिनट में गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण कर लेते हैं।

वह यह तरीका आम लोगों को भी सिखाते हैं , साथ ही कई स्कूलों में भी इसको लेकर वे स्कूली बच्चो को पिछले वर्ष प्रशिक्षण दे चुके हैं । इस कार्य के पीछे उनका साफ तौर पर उद्देश्य यही है कि पर्यावरण की रक्षा हो और इको फ्रेंडली गणेश जी हर घर में विराजित हो। उनका यह भी कहना है कि सभी लोगों को इको फ्रेंडली गणेश या मिट्टी से निर्मित गणेश जी की पीओपी से बने हुए ना हो उसी तरह से विराजित करना चाहिए।

इस काम में उनका सहयोग उनकी पत्नी ऋचा दुबे भी करती हैं । दुबे दंपत्ति द्वारा कई प्रतिमा बनाकर लोगों को निशुल्क दी जा चुकी है । इसी के साथ पिछले वर्ष जो देवास में 25 हजार से अधिक इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं स्कूल में बनाने का रिकॉर्ड बना था , उसमें भी दुबे दंपत्ति सहभागी बने थे  और कई बच्चों को प्रशिक्षण देकर इको फ्रेंडली गणेश जी बनाना सिखाएं थे। जो आज भी अपने घरों में इको फ्रेंडली गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं ।

आम लोगों में उनका संदेश सोशल मीडिया हो या अन्य माध्यम उससे पहुंचाते हैं । साथ ही इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने का तरीका वे लोगों तक भेजने का प्रयास करते हैं , ताकि हर घरों में इको फ्रेंडली गणेश जी विराजित हो और नदियों तालाबों और अन्य जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जा सके , गणेश प्रतिमा को कलर करने के लिए वह नेचुरल कलर का ही उपयोग करते हैं । जिसमें केमिकल ना के बराबर होता है।

ऋचा दुबे कहती है कि इको फ्रेंडली गणेश जी बनाने से उन्हें आत्मिक शांति भी मिलती है , साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मात्र 9 मिनट में प्रतिमा बनाने का तरीका भी दुबे लोगों के समक्ष साझा करते हुए नजर आते हैं। निश्चित तौर पर पर्यावरण बचाने के लिए और भगवान की आराधना के लिए की जा रही यह अनूठी मुहिम काबिले तारीफ है ।

उनका यह भी कहना है कि आने वाले समय में भी काम जारी रखेंगे लोगों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ निशुल्क प्रतिमा का वितरण भी उनके द्वारा किया जा रहा है । जिसको लेकर अब देवास शहर में कई जगह से डिमांड भी उन्हें फोन पर मिलने लगी है , जहां से भी कोई व्यक्ति उनसे संपर्क करता है तो वह निशुल्क मूर्ति उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं ।

साथ ही बनाए जाने वाली मिट्टी को भी वह निशुल्क लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं , निश्चित तौर पर पर्यावरण बचाने के लिए इको फ्रेंडली गणेश जी के निर्माण की गणेश चतुर्थी के पहले काफी सकारात्मक और रचनात्मक के साथ सराहनीय कही जा सकती है ।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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