भगवान गणेश के इस भक्त के पास है 500 से ज्यादा विध्नहर्ता की प्रतिमाएं और 10 हजार से ज्यादा चित्रों का डिजिटल कलेक्शन

Gaurav Sharma
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देवास, अमिताभ शुक्ला

गणेश उत्सव और गणेश चतुर्थी का पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है , लेकिन देवास में एक अनूठे ऐसे गणेश भक्त हैं जिनके घर में भगवान गणेश की 500 से अधिक प्रतिमाओं का कलेक्शन है । साथ ही 10,000 से अधिक गणेश जी के चित्रों का डिजिटल कलेक्शन भी मौजूद है । हम बात कर रहे हैं , देवास में पदस्थ न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता कि जिनके घर में ही भगवान गणेश प्रतिमाओं का अनूठा संग्रह देखने को मिलता है । जहां पर 1 इंच से लेकर 3 फीट तक की गणेश प्रतिमाएं देखने को मिलती है।

वहीं भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूप जिनमें पंचमुखी गणेश , शंख पर श्री गणेश नारियल पर ,  ताले पर , अंगूठी पर , सुपारी पर और अन्य विभिन्न वस्तुओं से निर्मित गणेश जी का संग्रह देखने को मिलता है । पिछले करीब 2 दशकों से वह भगवान गणेश के चित्र और मूर्तियों को इकट्ठा करने में जुटे हुए हैं।

शादी के कार्ड में बने भगवान गणेश के चित्रों को इकट्ठा करने से शुरू हुआ यह सफर अब एक गणेश संग्रहालय की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है , धातु , मिट्टी के गणेश सीनहरी में गणेश , देश – विदेश में विराजे गणेश के चित्रों का डिजिटल फोटो कलेक्शन तो है  ही, साथ ही प्रदेश के विभिन्न प्रदेशों से संग्रह की गई मूर्तियां भी हैं ।

योगेश कुमार गुप्ता जहां भी रहे वहां पर उन्होंने गणेश जी की प्रतिमा एकत्रित की। योगेश कुमार गुप्ता द्वारा किया गया गणेश प्रतिमाओं का संग्रह सराहनीय है और देखने योग्य भी है, साथ ही इन सब में एक अनूठी गणेश भक्ति भी झलकती है।

देवास में पदस्थ न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि वर्ष 1994 से यह संग्रह उन्होंने शुरू किया है । इसके बाद यह शोक बढ़ता गया और पूरे देश से गणेश जी की प्रतिमाएं एकत्र करना शुरू किया । उड़ीसा , पश्चिम बंगाल , हरियाणा सहित देश भर के ट्रेडिशनल गणेश जी की प्रतिमाओं का संग्रह है । उनके अनुसार वे दस दिनों तक श्री गणेश की आराधना भी करते हैं और गणेश उत्सव में अपने घर में गणेश जी की प्रतिमा भी बैठाते हैं । उनका यह भी कहना है इन सब कामो के लिए समय भी आसानी से वे निकाल लेते हैं । गणेश जी के संग्रह का अनूठा शौक जहां न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता को धार्मिक आध्यत्म की ओर भी ले जाता है। वही उनके द्वारा किया गया प्रतिमाओं का संग्रह और डिजिटल कलेक्शन भी अनुकरणीय और देखने योग्य है ।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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