देवास/उदयनगर, सोमेश उपाध्याय। पूरे विश्व में आज “World Tourism Day 2021” विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है। बता दें किस की शुरुआत एक विश्व पर्यटन संस्था ने 1970 में की थी लेकिन मुलताई से 27 सितंबर 2080 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया था। और आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसी जगह के बारे में बताना ही जा रहे हैं जिसका रहस्यमई पहाड़ अपने आप में एक अजूबा है। मप्र (MP) के देवास जिले (Dewas District) के बागली (Bagli) अनुभाग की आदिवासी बाहुल्य उदयनगर तहसील (Udainagar) में स्थित पोटला गाँव के जंगल से सटा, कावड़िया पहाड़ अपने आप में दुर्लभ है। यहां आने वाले पर्यटक इस अजीब पहाड़ की खासियत देखकर दंग रह जाते हैं।
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करीब ढाई हजार मीटर लंबे कावड़िया पहाड़ की सात चोटियां 5 किमी में फैली है। पहाड़ की खास बात यह है कि यह पहाड़ 8 फिट लंबी पत्थर की शिलाओं से बना है। ये शिलाएं एक जैसी शेप में है। इन्हें देखने पर लगता है कि यह पत्थर किसी फेक्ट्री में बनाए गए हो। इस पहाड़ की एक और विशेषता यह है कि इन पत्थरों के आपस में टकराने पर धातुओं के टकराने की ध्वनि निकलती है। यह ध्वनि पहाड़ियों पर मौजूद पत्थरों के ही टकराने में गूंजती है। आसपास की दूसरी पहाड़ियों पर न तो इस तरह के पत्थर है और न ही टकराने पर इस तरह की ध्वनि सुनाई देती है। यह बिल्कुल अलग ढंग के पत्थर कहां से कब और कैसे आए किसी को पता नहीं है।
यह है पौराणिक मान्यता
स्थानीय जानकार गिरधर गुप्ता व लोकेश जैन ने बताया कि इन पहाड़ों से जुड़ी पौराणिक मान्यता यह है कि महाबली भीम ने नर्मदाजी को रोकने के लिए ये पत्थर एकत्रित किए थे। लेकिन वो नर्मदा जी को नहीं रोक पाए थे। अनोखी ध्वनि और बनावट के बावजूद इन अद्भूत पहाड़ियों को पर्यटन के नक्शे पर बड़ी पहचान नहीं मिल सकी। घने जंगल में स्थित इन पहाड़ियों को विकसित कर दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। यहां के ग्रामीण बताते है कि अंग्रेजों ने इस पहाड़ के पत्थर ले जाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन वे एक शिला भी नहीं उठा सके। अभी भी यदि कोई यहां के पत्थरों को उठाकर ले जाने की कोशिश करता है तो पत्थर ले जा नहीं पाता।
विधायक ने किया प्रयास
क्षेत्रीय विधायक पहाड सिंह कन्नौजे ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया कि उन्होंने पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर से चर्चा कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए चर्चा की है। जल्द ही सीता मन्दिर, नर्मदा परिक्रमा ,धाराजी व कावड़िया पहाड़ की लिंक जोड़ कर बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेंगे।
ऐसे पहुंचे यहां
देवास से बागली, पीपरी होकर दूरी 117 किमी। भोपाल से दूरी 230 किमी। कन्नौद से सतवास, कांटाफोड़ होकर दूरी 64 किमी। खातेगांव से सतवास, कांटाफोड़ पुंजापुरा होकर 104 किमी। इंदौर से बागली-पुंजापुरा उदयनगर पीपरी होकर दूरी 85 कि.मी.। बारिश के दिनों में मार्ग पर कीचड़ होने से आवागमन में कठिनाई आ सकती है। साथ ही इस स्थान के आस-पास कोई रेस्टोरेंट वगैरह भी नहीं है, इसलिए खाने-पीने का सामान भी साथ ही ले जाना होता है।