डिंडोरी, प्रकाश मिश्रा। भृष्टाचार (Corruption) के खिलाफ सरकार की मुहिम और सामाजिक बदलाव का असर अब ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच गया है और भृष्ट अफसरों के खिलाफ ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं। जागरुकता का उदाहरण प्रस्तुत किया है डिंडोरी (Dindori)जिले की ग्राम पंचायत सांडवा छापर के ग्रामीणों ने, जो अपने हक के लिए आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।
मामला जनपद पंचायत कंजिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत सांडवा छापर का है जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण उपयंत्री प्रदीप द्विवेदी सहित ग्राम पंचायत की सरपंच मायावती परस्ते और सचिव नरोत्तम झारिया के खिलाफ शिकायत लेकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। तहसीलदार डिंडोरी को ज्ञापन सौंपते हुए उपयंत्री के साथ ही सरपंच और सचिव पर पंचायत के अंतर्गत किए गए निर्माण कार्यों सीमेंट कांक्रीट रोड, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए गए शौचालयों तथा मनरेगा के अंतर्गत चल रहे सड़क निर्माण कार्यों में मशीनों का प्रयोग करते हुए गुणवत्ताहीन कार्य कराये जाने का आरोप लगाया। साथ ही वृद्धावस्था पेंशन, मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत भी ज्ञापन में की गई है।
मनमाने तरीके से मूल्यांकन का आरोप
ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर के नाम डिंडोरी तहसीलदार बी एस ठाकुर को ज्ञापन सौंपते हुए पंचायत प्रतिनिधियों एवं पंचायत कार्य में संलग्न उपयंत्री और सचिव पर कार्रवाई की मांग की है ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत में गुणवत्ताहीन कार्य किए गए जिनका मनमाने तरीके से मूल्यांकन कर राशि का आहरण किया गया है इसी प्रकार पंचायत के अंतर्गत बनाए गए शौचालयों का निर्माण अधूरा है एवं राशियां निकाल ली गई है। आंगनवाड़ी भवन की स्थिति जर्जर है जिससे कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता है । प्रधानमंत्री आवास अभी आधे अधूरे हैं सामने का कार्य करा कर फोटो खींच कर राशि आहरण कर लेने का आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया है।
पूर्व में भी कर चुके हैं शिकायत
ग्रामीणों ने बताया कि इसके पूर्व भी जिला कलेक्टर सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को भी शिकायत कर कार्रवाई की मांग की जा चुकी है किंतु आज तक कोई कार्यवाही जिला प्रशासन की ओर से नहीं की गई है ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में मशीनों के द्वारा कार्य कराया जा रहा है जिससे स्थानीय मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है जिससे आसपास के क्षेत्रों के मजदूर मजबूरीवस दूसरे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने ज्ञापन देते हुए कहा है कि यदि समय रहते उक्त अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे।