Gotmar Mela : छिंदवाड़ा के इस अनूठे खूनी खेल में कई लोग गवा चुके हैं अपनी जान, इतिहास के पीछे है प्रेम कहानी

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Gotmar Mela

छिंदवाड़ा, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के छिंदवाड़ा जिले (Chhindwara) में हर साल परंपरा के नाम पर एक अनूठा खुनी खेल खेला (Gotmar Mela) जाता है। इस खेल का नाम है गोटमार खेल। दरअसल, यह एक पांढुर्णा का विश्व प्रसिद्ध खूनी खेल है। परंपरा के अनुसार छिंदवाड़ा में आज ही के दिन खूनी खेल गोटमार खेला जाएगा। इसके लिए मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लोग एक दूसरे पर पत्थर मारते हैं।

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अब तक इस खेल में कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं। हालांकि ये परंपरा सैलून से चलती जा रही हैं। इस खेल को प्रशासन भी रोक नहीं पाया है। जानकारी के मुताबिक, 300 साल पुराना इस खुनी खेल का इतिहास बताया जाता है। इस इतिहास के पीछे एक प्रेम कहानी छुपी हुई है। परंपरा के अनुसार ये खेल जाम नदी के दोनों ओर से लोगों के बीच खेला जाता है। कहा जाता है कि पांढुर्णा

Gotmar Mela : ये है कहानी –

gotmar mela

गांव का एक लड़का और जमा नदी के दूसरी और रहने वाली दूसरे गांव की एक लड़की एक दूसरे से प्यार करते थे। लेकिन परिवार वाले इन दोनों के प्यार को सही नहीं मानते थे। दरअसल लड़की के परिवार वाले इस प्यार के लिए राजी नहीं हुए। ऐसे में लड़के ने अपनी प्रेमिका को अपनी जीवनसाथी बनाने के लिए उसके गांव से भगा कर पांढुर्णा लाने की कोशिश की।

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ऐसे में जब ये दोनों जमा नदी के बीच तक आ गए तो लड़के के गांव वालों को खबर हो गई। उसके बाद उन्होंने इस बात को अपनी प्रतिष्ठा पर आघात समझ लिया। ऐसे में जब लड़की वालों को जब ये खबर लगी तो उन्होंने लड़कों पर पत्थरों की बौछार कर दी इतना ही नहीं जब लड़के वालों को ये पता चला तो उन्होंने भी लड़की वालों पर पत्थर मारना शुरू कर दिए।

जाम नदी के बीच हुई प्रेमी जोड़े की मौत –

ऐसे में लड़का लड़की दोनों की जाम नदी के बीच मौत हो गई। इसके बाद दोनों प्रेमियों के शव को मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा गया। उसके बाद उनकी पूजा अर्चना की गई और फिर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना के बाद से ही मां चंडीका की पूजा अर्चना कर गोटमार मेले का आयोजन कर यहां खुनी खेल हर साल खेला जाता हैं। ये परंपरा कई सालों से चलती आ रही हैं।

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ऐसे शुरू होता है खेल –

बता दे, इस खेल को खेलने से पहले आराध्य देवी मां चंडिका के पूजन के बाद जाम नदी के बीचो-बीच पलाश का पेड़ और झंडा गाड़ा जाता है। उसके बाद यहां दोनों गांव के लोग जमा होते है और ये खुनी खेल खेलते हैं। इस पथरबाजी वाले खेल में अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं इतना ही नहीं भारी मात्रा में यहां लोग घायल होते हैं। खेल के अंत में जो भी झंडा प्राप्त करने में सफल रहता है उन्हें विजेता घोषित किया जाता है।

 

 


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Ayushi Jain

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