विकास की जमीनी हकीकत,खुले आसमान में अंतिम संस्कार करने को मजबूर ग्रामीण

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सलिल श्रीवास्तव, डबरा। सरकार जमीनी स्तर पर तो सुविधांए देने की बात करती है, लेकिन उनकी वास्तविक हकीकत ग्रामीण अंचल में ही देखने को मिलती है। ताजा मामला भितरवार जनपद की ग्राम पंचायत गड़ाजर के रामपुरा गांव का है, जहां श्मशान घाट के अभाव के चलते खुले में अंतिम संस्कार किया गया और तो और बारिश के चलते कई बार डीजल का भी उपयोग करना पड़ा। यह तस्वीरें व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं।

आपको बता दें कि भितरवार जनपद की ग्राम पंचायत गडाजर की रामपुरा बस्ती में 40 परिवार निवास करते हैं, लेकिन इनके लिए आज तक शासन ने मुक्तिधाम की व्यवस्था नहीं की है। ग्रामीणों को खुले में ही अंतिम क्रिया करनी पड़ती है, जो मुक्तिधाम पंचायत में बना है वह लगभग दो किलोमीटर दूर है और बरसात के मौसम में वहां जाना मुमकिन नहीं क्योंकि रास्ते में नदी भी पड़ती है।

यह है पूरा घटनाक्रम

दरअसल, रामपुरा बस्ती में रहने वाले ग्रामीण रामबीर ओझा की माता जी का बीती शाम देहांत हो गया। बस्ती के आसपास कहीं भी मुक्तिधाम की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस कारण ग्रामीणों को एक खेत में अंतिम क्रिया करनी पड़ती है। ग्रामीण बीती रात जब अंतिम क्रिया कर रहे थे तो दो बार बारिश हो गई जिसके चलते गीली लकड़ियों के बीच अंतिम क्रिया करना काफी मुश्किल हुआ। इसके बाद लोगों को डीजल आदि का भी सहारा लेना पड़ा।

ग्रामीण बलराम बघेल का कहना है कि कई बार गांव के सरपंच से लेकर क्षेत्रीय विधायक तक अपनी बात पहुंचाई है पर किसी ने भी इस बात पर आज तक कोई गौर नहीं किया है। उन्होंने प्रशासन से साफ तौर पर मांग की है कि शीघ्र ही ग्राम में मुक्तिधाम की व्यवस्था की जाए क्योंकि आने वाले दिनों में क्रिया कर्म करना और भी पीड़ा दायक होगा।

इस मामले पर भितरवार के तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव ने कहा कि मामला संज्ञान में आया शीघ्र ही जमीन चिन्हित कराकर मुक्तिधाम बनवाया जायेगा।

उधर, भितरवार जनपद के सीईओ कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि गडाजर में शांति धाम बना हुआ है। रामपुरा राजस्व ग्राम ना होने के कारण यहां मुक्तिधाम नहीं बन पाया है। ग्राम सभा प्रस्ताव बनाएं और राजस्व विभाग जमीन उपलब्ध कराएं। शीघ्र ही अनुमति दिला कर मुक्तिधाम बनवा दिया जाएगा।


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Manuj Bhardwaj

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