गांव में सरपंच-सचिव ने जीवित बुजुर्ग को किया मृत घोषित,पीड़ित ने एसडीएम से लगाई गुहार

Gaurav Sharma
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गुना, विजय कुमार जोगी । सरकार में बैठे राजनेता भले ही कितने ही सुशासन का दावा करें, लेकिन नौकरशाही की लापरवाही खत्म होती नहीं दिखाई दे रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण चाचौड़ा की बटाबदा गांव में देखने को मिला। जहां पंचायत सचिव ने एक जीवित आदिवासी बुजुर्ग को मृत घोषित करके उसका नाम लिस्ट से हटा दिया। बुजुर्ग ने पेंशन बंद होने का कारण पता किया, तो उसके पैरों तले से जमीन खिंसक गई। जब उसे पता चला की, सरकारी रिकॉर्ड में तो वो मृत है.

प्रशासन ने जिंदा शख्स को घोषित किया मृत

कई महीने तक बैंक का पासबुक लेकर मोहर सिंह भील बैंक के चक्कर लगाता रहा कि, साहब मेरी पेंशन कब आएगी। बैंक अधिकारी उसे टालते रहे, थक हारकर बुजुर्ग मोहर सिंह ने बटावदा सरपंच और सचिव से गुहार लगाई। लेकिन सरपंच और सचिव ने भी अनसुना कर दिया। किसी व्यक्ति ने मोहर को बताया कि, समग्र आईडी निकाल कर देखो, जब उसने आईडी निकलवाई तो पता चला कि, उसे तो जनवरी 2019 में ही मरा हुआ दिखा दिया गया है। ग्रामीणों से सलाह मशवरा करके वो चाचौड़ा एसडीएम वीरेंद्र सिंह के पास पहुंचा और ये समस्या बताई तो मोहर सिंह ने इसके बाद जनपद सीईओ हरिनारायण शर्मा के ऑफिस में भी दस्तक दी और कहा कि, ‘साहब देख लीजिए मैं जिंदा हूं। मुझे कागजों में जिंदा करके मेरी पेंशन चालू करवा दीजिए’।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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