ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) के जीवाजी विश्वविद्यालय , जेयू (JU) का विवादों से गहरा नाता रहा है। इस बार दीक्षांत समारोह (Convocation) से ठीक पहले नया विवाद सामने आया है। जीवाजीविद्यालय के पूर्व कार्य परिषद सदस्य ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल (Governor) को एक पत्र भेजकर निवेदन किया है कि वे 27 अगस्त को आयोजित होने वाले जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने से बचें क्योंकि जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति दागी हैं , उनके खिलाफ लोकायुक्त में भी जाँच चल रही हैं। पूर्व कार्य परिषद सदस्य ने राज्यपाल से कहा है कि दागी कुलपति की हस्ताक्षर की हुई डिग्रियां बांटकर वे अपने हाथ दूषित होने से बचें।
जीवाजी विश्वविद्यालय 27 अगस्त को दीक्षांत समारोह आयोजित करने जा रहा है। प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करेंगे, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे जबकि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा स्थानीय मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और भारत सिंह कुशवाह एवं सांसद विवेक नारायण शेजवलकर दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे। दीक्षांत समारोह में 180 पीएचडी, एमफिल की 13 और पीजी के 228 छात्रों को डिग्रियां दिया जाना है।
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जीवाजी विश्वविद्यालय के अधिकारी दीक्षांत समारोह की तैयारियां कर रहे हैं लेकिन इसी बीच इससे एक नया विवाद जुड़ गया है। जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व कार्य परिषद सदस्य केपी सिंह ने राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल को एक शिकायती आवेदन देकर दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं होने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ताम्रपत्र से सम्मानित मीसाबंदी और जीवाजी विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के चार बार सदस्य रहे केपी सिंह ने पत्र में कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता शुक्ला की शिकायत की है।
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केपी सिंह ने लिखा कि जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता शुक्ला के कार्यकाल में बहुत भ्रष्टाचार हुआ है, इनके कार्यकाल में निर्मित भवनों में भ्रष्टाचार हुआ है और बीएससी नर्सिंग की परीक्षा में धांधली के भी आरोप लगे हैं।लोकायुक्त में भी इनके विरुद्ध जाँच चल रही है, आपके कार्यालय में भी एक शिकायत की गई है जिसपर कार्यवाही लंबित है। इसलिए निवेदन है कि आप दागी कुलपति के हस्ताक्षरयुक्त डिग्रियां बांटकर अपने हाथों को दूषित ना करें।