कोरोना लॉक डाउन में घर से गायब युवक जब साढ़े तीन साल बाद मिला तो खिले परिजनों के चेहरे, आँखें हुई नम, पढ़ें पूरी खबर

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Gwalior News : कोरोना वायरस और उसके अटैक के समय लगे लॉक डाउन ने हजारों लोगों की जिन्दगी प्रभावित की, किसी ने अपने परिजनों को खोया तो कोई अपने परिजनों से बिछड़ गया, लोगों की उम्मीद टूटी , माता पिता की आँखें पथरा गई लेकिन खुशियाँ नहीं लौटी मगर एक खुशनसीब परिवार ऐसा भी है जिसे ग्वालियर पुलिस और आश्रम स्वर्ग सदन की मदद से ना सिर्फ ख़ुशी मिली बल्कि उनका बेटा भी मिला ।

खेत में डरा सहमा  बैठा था युवक 

दरअसल कुछ दिन पूर्व 02 नवंबर को बेहट थाना क्षेत्र के घुसगुवाँ गाँव में राजेश कुशवाहा के बाजरे के खेत में डरा सहमा हुआ एक युवक बैठा मिला था, जिसकी सूचना थाना बेहट पुलिस को मिली, जिस पर थाना बेहट के थानेदार सुरेश कुशवाहा मौक़े पर पहुँचे और खेत में मिले युवक को थाने लेकर आए। थाना प्रभारी ने मानवता का परिचय देते हुए युवक को थाने में लाकर नहलाया और ख़ाना खिलाया।

पुलिस ने थाने लाकर नहलाया, खाना खिलाया, युवक निकला गोरखपुर यूपी का 

थानेदार सुरेश कुशवाह ने जब युवक से प्यार से बात की तो उसने अपना नाम प्रदुमन पासवान बताया तथा स्वयं को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के गोरावर गाँव का रहने वाला बताया। पुलिस ने युवक को नये कपड़े दिलवाए और प्रेम से पूछताछ की तो उसने पिता का नाम विजय पासवान बताया। युवक थोड़ा मंदबुद्धि होने से उसे ज्यादा कुछ याद नहीं था। पुलिस द्वारा युवक से पूछने पर कि कहाँ से आए हो और यहाँ कैसे पहुँचे तो वह सिर्फ़ इतना बता रहा था कि मुरैना से मुझे एक व्यक्ति गाड़ी में बैठाकर लाया और यहाँ छोड़ दिया।

पुलिस ने परिजनों की खोज खबर शुरू की 

खेत में मिले युवक के संबंध में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल को इसकी सूचना दी गई,  वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर एसडीओपी बेहट संतोष कुमार पटेल ने बेहट पुलिस को उसके गांव के सरपंच का नाम व मोबाइल नम्बर मालूम करने के निर्देश दि। पुलिस ने इंटरनेट पर गोरावर गाँव के सरपंच का मोबाइल नंबर निकालकर बात की लेकिन सरपंच ने राजनीतिक दुश्मनी के कारण उसके परिजनों को नहीं बताया।

आश्रम स्वर्ग सदन ने खोज निकाला परिजनों को 

पुलिस ने युवक को आश्रम स्वर्ग सदन में रुकवाया और स्वर्ग सदन की टीम ने अपनी गोरखपुर शाखा के माध्यम पता लगवाया तो पाँचवें दिन मानसिक विक्षिप्त बालक के मामा, भाई व चाचा ग्वालियर पहुँचे और पिछले साढ़े तीन साले में जिसकी उम्मीद खो चुके थे उसे सामने देखकर उनकी आँखों में ख़ुशी के आंसू थे और चेहरे पर ख़ुशी थी।

लॉक डाउन में जो गायब हुआ उसे पाकर परिजनों के खिल गए चेहरे ऑंखें थी नम 

परिजनों ने बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना के लॉकडॉउन लगने से पहले ग़ायब हो गया था जो आज मिला। उसके एक भाई की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी थी। आश्रम स्वर्ग सदन से युवक को परिजन अपने साथ ले गये और ग्वालियर पुलिस को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर एसडीओपी बेहट  संतोष कुमार पटेल भी उपस्थित थे। पुलिस व आश्रम स्वर्ग सदन की मानवता व धैर्य की बदौलत साढ़े तीन साल बाद परिजनों के चेहरे में ख़ुशी आई और ग्वालियर पुलिस की सजगता और त्वरित कार्यवाही से अपने परिजनोें से बिछड़ा युवक अपनों से मिल सका।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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