बैंक लॉकर में रखे पूर्व मंत्री के करीब 1 करोड़ के जेवर गायब

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला के बैंक लॉकर में रखे लगभग एक करोड़ रुपये के जेवर गायब हो गए हैं। मामला करीब आठ महीने पुराना है उन्होंने एसपी को इस संबंध में एक आवेदन भी दिया था लेकिन अब तक गायब गहनों का कोई सुराग नहीं लगा है।  मामला मीडिया में आने के बाद बालेंदु शुक्ला मीडिया के सामने आये।  उधर एसपी का कहना है कि उन्होंने क्राइम ब्रांच को जांच के निर्देश दिए थे मैं एक बार फिर इसकी जानकारी लेता हूँ।

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालेंदु शुक्ला के स्टेट बैंक के लॉकर से उनके एक करोड़ रुपये के गहने  गायब हो जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।  पूर्व मंत्री ने मीडिया को बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेतकपुरी शाखा में उनका लॉकर है, लॉकर में पहला नाम उनकी पत्नी पुष्पा शुक्ला का है और दूसरा नाम उनका है।

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जब उन्होंने  26 फरवरी 2020 को लॉकर ऑपरेट किया था तब उसमें सबकुछ था लेकिन जब उन्होंने 25 जून 2021 को लोकर खोला तो वे भौचक रह गए उसमें रखे उनके कीमती जेवर गायब थे।  उन्होंने ग़ायब हुए गहनों की आज के हिसाब से कीमत करीब एक करोड़ रुपये बताई है।

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पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने बैंक को शिकायत की लेकिन चूँकि मुझे मालूम है कि लॉकर के मामले में बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती तो मैं चुप बैठ गया। लेकिन मैंने एक दिन अख़बार में पढ़ा कि झारखण्ड में भी ऐसा एक मामला हुआ था तो उसमें पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया था।

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खबर पढ़ने के बाद कुछ उम्मीद जागी  तो मैंने एसपी को घटना की जानकारी लिखकर एक आवेदन दिया उन्होंने उसे क्राइम ब्रांच को दे दिया लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। उधर एसपी अमित सांघी का कहना है कि वैसे तो लॉकर बहुत सुरक्षित होता है क्योंकि उसको ऑपरेट करने के लिए एक चाबी ग्राहक के पास होती है और एक बैंक के पास और जब दोनों चाबी लगती हैं तभी लॉकर खुलता है। उन्होंने कहा कि बालेंदु पास आये थे , उन्होंने आवेदन दिया था मैंने उसे क्राइम ब्रांच को दिया था , अब मैं क्राइम ब्रांच से इस मामले में अपडेट लेता हूँ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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