ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारत सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल ग्वालियर में बन रही पहली स्मार्ट रोड “सियासत की सड़क” बनती जा रही है। करीब 300 करोड़ के प्रोजेक्ट का एक छोटा हिस्सा लगभग सवा किलोमीटर की सड़क को लेकर ग्वालियर में सियासत जारी है। ग्वालियर स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा बनाई जा रही इस सड़क पर उसने कुछ दिन पहले थीम रोड नाम की पट्टिका लगा दी जो हिन्दू महासभा को नागवार गुजरी और उसने विरोध शुरू कर दिया।हिन्दू महासभा ने थीम रोड वाली पट्टिका पर कालिख पोत दी और स्मार्ट रोड पर वीर सावरकर नाम के 11 बैनर लगा दिए।
ग्वालियर शहर को स्मार्ट शहर की शक्ल देने के लिए ग्वालियर स्मार्ट सिटी कंपनी कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रही है जिसमें एक प्रोजेक्ट स्मार्ट रोड और मल्टी लेवल पार्किंग का भी शामिल है जिसकी लागत करीब 300 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट का एक छोटा हिस्सा करीब सवा किलोमीटर का है जिसे स्मार्ट स्मार्ट सड़क बनाया जा रहा है जिस का कार्य प्रगति पर है।
शहर की पहले स्मार्ट सड़क उस समय विवादों में आ गई जब इसके अलग अलग नाम सामने आने लगे। कई दशक पहले इसे छत्री रोड कहा जाता था, उसके बाद इस रोड पर वीर सावरकर सरोवर (कटोरा ताल ) बन गया तो इसे कटोरा ताल रोड आम बोलचाल की भाषा में कहा जाने लगे। उसके बाद स्थानीय प्रशासन ने 2011 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उद्घाटन करवाकर इस रोड का नाम वीर सावरकर मार्ग कर दिया।
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2012 में ग्वालियर नगर निगम ने शहर की विभिन्न सड़कों को एक विशेष थीम पर विकसित करने की योजना बनाई और तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता के कार्यकाल में इस सड़क का जीर्णोद्धार हुआ, इस पर धौलपुर का गुलाबी पत्थर लगाया गया, नक्काशीदार लैम्पोस्ट लगाए गए, जालीदार बेंचेज लगाई गईं, डिवाइडर पर खूबसूरत फब्बारे लगाए गए और इस सड़क को थीम रोड कहा जाने लगा।
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तब से लेकर आज तक इस सड़क को लोग थीम रोड ही कहते हैं। लेकिन जैसे ही इस सड़क को स्मार्ट रोड बनाने की शुरुआत हुई अचानक सड़क के आसपास गेंट्रीयों पर इस रोड को “राजपथ” कहकर सम्बोधित किया जाने लगा, इसी बीच कुछ दिन पहले स्मार्ट सिटी कंपनी ने जयविलास पैलेस के सामने रोड की एंट्री पर थीम रोड का पत्थर लगा दिया। पत्थर लगते ही हिन्दू महासभा मैदान में आई।
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वीर सावरकर सरोवर में लगी ताले में बंद पड़ी वीर सावरकर की प्रतिमा को बंधनमुक्त कराने वाली हिन्दू महासभा को याद आया कि इस सड़क का नाम तो वीर सावरकर के नाम पर होना चाहिए, उन्होने विरोध शुरू कर दिया। महासभा नेताओं ने थीम रोड लिखे पत्थर पर दो दिन पहले कालिख पोत दी और आज प्रदर्शन करते हुए स्मार्ट रोड पर वीर सावरकर मार्ग नाम के 11 बैनर लगा दिए।
उधर अब इस विवाद में मराठा समाज भी उतर आया है। समाज का कहना है कि सिंधिया परिवार ने ग्वालियर बसाया था इसमें मुख्य भूमिका महादजी सिंधिया की थी जिनकी मूर्ति इस सड़क पर लगी है इसलिए इस सड़क का नाम उनके नाम पर होना चाहिए। वहीं कांग्रेस सड़क का नाम महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू या फिर माधव राव सिंधिया के नाम पर करने की मांग कर रही है।
हालाँकि ग्वालियर सांसद और पूर्व महापौर विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि जब वे महापौर थे तो उनके कार्यकाल के दौरान 2010 में इस सड़क का गजट नोटिफिकेशन में नाम वीर सावरकर मार्ग नाम है इसलिए विवाद की कोई बात नहीं होनी चाहिए।
बहरहाल करोड़ों रुपये की लागत से बन रही स्मार्ट रोड इस समय सियासत की सड़क बन गई है। हालाँकि जिला प्रशासन के अधिकारियों से लेकर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि विवाद की कोई बात नहीं है जो नाम सरकारी दस्तावेजों में होगा वही नाम इस सड़क का रखा जायेगा।