Gwalior News: सम्राट मिहिर भोज विवाद में 100 से ज्यादा लोगों पर FIR

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। सम्राट मिहिर भोज (Mihir Bhoj) की मूर्ति पर लगी पट्टिका पर चले आ रहे विवाद पर हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद हालत सामान्य हैं।  जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन अब ऐसे लोगों पर नजर रखे हुए जो माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं।  उधर पुलिस ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी चक्काजाम करने वाले एक सैकड़ा से अधिक लोगों पर FIR दर्ज की है।

ग्वालियर (Gwalior) के चिरवाई नाके पर स्थापित की गई सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर लगी पट्टी पर लिखे गुर्जर शब्द के बाद शहर में विवाद शुरू हो गया। क्षत्रिय और गुर्जर  दोनों समाजों के नेता मिहिर भोज को अपने अपने समुदाय का बताने लगे और दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।

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दोनों समाजों का विवाद धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम तक पहुँच गया, इस बीच जिला प्रशासन ने सामंजस्य स्थापित करने के प्रयास किये। विवाद के दरमियान एक सामाजिक कार्यकर्ता ने ग्वालियर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी।  हाईकोर्ट ने मूर्ति की पट्टिका को फिलहाल अगली सुनवाई तक ढंकने के निर्देश दिए एवं संभाग कमिश्नर एवं आईजी के नेतृत्व में एक समिति बनाकर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।

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हाई कोर्ट के आदेश के बाद  उसी रात 25 सितम्बर को जिला प्रशासन ने मूर्ति की पट्टिका को ढँक दिया। लेकिन कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति की। गुर्जर समाज के लोग मूर्ति स्थल पर पहुँच गए और विरोध करने लगे।  जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया उधर सिकरौदा गांव  के पास भी हाइवे पर कुछ लोगों ने चक्काजाम किया।  जिसे पुलिस और प्रशासन ने मशक्कत के बाद खुलवाया।

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एसपी अमित सांघी (SP Amit Sanghi) ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद जब प्रशासन की टीम चिरवाई नाके प्रतिमा की पट्टिका को कवर करने गई थी तब वहां लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया फिर सिकरौदा पर जाम लगाया।  चूँकि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया इसलिए दो अलग अलग थानों ने 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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