कार्यशाला में बोले न्यायाधिपति अरुण मिश्रा – मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए

ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  न्यायाधिपति अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) ने कहा है कि मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उनका भी सामान्य मनुष्य की तरह मानव अधिकार है। मानसिक आरोग्यशालाओं में उपचार करा रहे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आदर्श सुविधाएँ भी मुहैया होना चाहिए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य शासन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने यह बात कही।

बुधवार को ग्वालियर (Gwalior News) के एक स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में आरोग्यशाला को और बेहतर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुईं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा है कि ग्वालियर की मानसिक आरोग्यशाला (Gwalior Mansik Arogyashala) को आदर्श बनाने के लिये एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाए। आरोग्यशाला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मरीजों के लिये भी आदर्श सुविधायें उपलब्ध हों। आरोग्यशाला में मरीज को इलाज के साथ-साथ योग एवं अन्य थैरेपियों के माध्यम से भी इलाज हो, ऐसे भी प्रबंध किए जाएं।

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उन्होंने यह भी कहा कि मानसिक आरोग्यशाला में ठीक हुए मरीजों को उनके परिवार तक पहुँचाने के लिए समाज की सोच में परिवर्तन लाने की भी पहल की जाना चाहिए। ठीक हुए मरीजों को जिनके परिजन नहीं ले जा रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाकर निर्देशित किया जाना चाहिए जिससे वे अपने परिजनों को घर ले जा सकें। मानसिक रोगियों को भी ठीक होने के बाद समाज में उचित स्थान मिले और वह सामान्य मनुष्य की तरह अपना बेहतर जीवन जी सकें, इसके लिये शासकीय प्रयासों के साथ-साथ समाज के लोगों को भी आगे आकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानसिक आरोग्यशाला का बेहतर विकास हो, इसके लिये धन की कमी नहीं है। हमें बेहतर कार्ययोजना तैयार कर उसका क्रियान्वयन तेजी से करने की जरूरत है।

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कार्यशाला के प्रारंभ में आयुक्त स्वास्थ्य विभाग सुदाम खाण्डे ने स्वागत भाषण में कहा कि मानव अधिकार आयोग एवं राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में बेहतर सुझाव प्राप्त होंगे। राज्य शासन की ओर से मानसिक आरोग्यशालाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ अच्छी सुविधायें मिलें, इसके लिये भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्य किया जायेगा।

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जिला न्यायाधीश पी एन सिंह ने कहा कि मानसिक आरोग्यशालाओं में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और मरीजों को बुनियादी सुविधायें उपलब्ध हों इसके लिये शासकीय स्तर पर बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। समाज के लोगों को भी ऐसे मरीज जो स्वस्थ हो गए हैं उन्हें वापस अपने घर ले जाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करना चाहिए।
कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग के सदस्यों ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में मानसिक आरोग्यशाला के बेहतर क्रियान्वयन के लिये महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।

अंत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा कि सभी के सुझावों को शामिल करते हुए आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। उन्होंने संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना से कहा कि वे मानसिक आरोग्यशाला की दीर्घकालिक योजना तैयार कराएँ ताकि ग्वालियर में आदर्श मानसिक आरोग्यशाला बन सके और मरीजों का बेहतर उपचार कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा सके।

कार्यशाला में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य महेश मित्तल कुमार,  राजीव जैन व सचिव देवेन्द्र कुमार सिंह, प्रधान जिला न्यायाधीश प्रेम नारायण सिंह एवं सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला, आयुक्त स्वास्थ्य सुदाम खाण्डे, संचालक चिकित्सा शिक्षा  जितेन्द्र शुक्ला, संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना, आईजी श्रीनिवास राव, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, एसपी अमित सांघी सहित मानसिक आरोग्यशाला के चिकित्सक और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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