क़तर से पूर्व नौ-सैनिकों की वापसी पर बोले सिंधिया, पीएम मोदी ने फिर साबित किया कि वे केवल प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक हैं प्रधान रक्षक हैं 

ग्वालियर दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क़तर से पूर्व नौ-सैनिकों की रिहाई पर ख़ुशी जताई है , एक सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी ने एक बार नहीं बार बार प्रमाणित किया है कि वे केवल प्रधानमंत्री नहीं हैं, वे प्रधान सेवक हैं, वे प्रधान रक्षक हैं।

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Scindia statement on Indians returned from Qatar : आज भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है, जासूसी का सामना कर रहे 8 भारतीय पूर्व नौ सैनिकों को आज क़तर की सरकार ने रिहा कर दिया है, इन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी जिसे भारत के हस्तक्षेप के बाद क़तर ने उम्र कैद में बदल दिया था। रिहाई के बाद भारत वापसी पर पूर्व नौ-सैनिक और उनके परिजन खुश हैं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ख़ुशी जताई है और पीएम मोदी के लिए बड़ी बात कही है।

पीएम मोदी ने प्रमाणित किया वे केवल प्रधानमंत्री नहीं हैं, वे प्रधान सेवक हैं, वे प्रधान रक्षक हैं 

ग्वालियर दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क़तर से पूर्व नौ-सैनिकों की रिहाई पर ख़ुशी जताई है , एक सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी ने एक बार नहीं बार बार प्रमाणित किया है कि वे केवल प्रधानमंत्री नहीं हैं, वे प्रधान सेवक हैं, वे प्रधान रक्षक हैं।

पीएम मोदी को सिर्फ 140 करोड़ भारतीयों की नहीं दुनिया में बसे हर भारतीय की चिंता है 

सिंधिया ने कहा कि युक्रेन युद्ध के समय जैसे भारतीय स्टूडेंट्स की सुरक्षित वापसी कराई या फिर पिछले दस सालों में जहाँ भी कहीं भारतीय फंसे उन्हें सुरक्षित लाने की पीड़ा और जिम्मेदारी पीएम मोदी ने सफलता पूर्वक संभाली है, क़तर से भारत के 8 पूर्व नौ-सैनिकों की रिहाई और उनमें से 7 की भारत वापसी भी उसी का एक उदाहरण है। सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी सिर्फ भारत के 140 करोड़ देशवासियों की नहीं दुनिया के 110 देशों में बसे ढाई करोड़ भारतीयों को भी चिंता करते हैं आज ये फिर उन्होंने साबित कर दिया।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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